पंजाबः परनीत कौर के खिलाफ इस दिग्गज नेता को मैदान में उतार सकती है अकाली दल

पंजाबः परनीत कौर के खिलाफ इस दिग्गज नेता को मैदान में उतार सकती है अकाली दल

होशिरयारपुर से इन 2 नेताओं को लेकर फंसा पेच

पटियालाः लोकसभा चुनावों को लेकर इस बार समीकरण काफी बदल गए है। पार्टी से नेताओं के दूसरी पार्टी में जाने के बाद सभी दल फूंक-फूंक कर कदम रख रहे है। वहीं शिरोमणि अकाली दल संसदीय चुनाव में एक बड़ा दांव खेलने जा रहा है। पार्टी ने अपने कोषाध्यक्ष एनके शर्मा को पटियाला से उतारने का निर्णय लिया है। दरअसल, बीते दिन यानी दूसरे दिन पार्टी की बैठक में पटियाला सहित राज्य की अन्य सीटों के उम्मीदवारों पर चर्चा हुई। जिसके बाद पार्टी एनके शर्मा को परनीत कौर के खिलाफ उतारने का मन बना रही है। दरअसल, एनके शर्मा जो डेरा बस्सी से पार्टी के विधायक भी रहे हैं, के नाम पर सभी की सहमति है कि उन्हें पटियाला संसदीय क्षेत्र से उतारा जाए। पटियाला संसदीय क्षेत्र में उनका हलका डेरा बस्सी भी आता है।

डेराबस्सी के अलावा पटियाला, नाभा आदि शहर हिंदू बाहुल्य है, जिनका फायदा अकाली दल उठाना चाहता है। एनके शर्मा जमीनी स्तर के नेता है और डेराबस्सी में लोगों के काम करने के लिए जाने जाते हैं। पार्टी अध्यक्ष सुखबीर बादल की अध्यक्षता में हुई बैठक में लोकसभा सीटों के जिलों के प्रधान, हलका इंचार्ज और एसजीपीसी के सदस्य भी शामिल हुए। पार्टी ने श्री आनंदपुर साहिब से प्रोफेसर प्रेम सिंह चंदूमाजरा के नाम पर भी मुहर लगा दी है। हालांकि पार्टी के वरिष्ठ उप प्रधान डॉ. दलजीत सिंह चीमा भी इस सीट से लड़ने के लिए इच्छुक थे, लेकिन चंदूमाजरा इस सीट पर सांसद रह चुके हैं, इसलिए उन्हें ही यहां से उम्मीदवार तय करने पर विचार किया गया है। इसके अलावा श्री खडूर साहिब से विरसा सिंह वल्टोहा के नाम पर भी सहमति बनी है।

उनका अपना विधानसभा हलका खेमकरण भी श्री खडूर साहिब का हिस्सा है। वल्टोहा पार्टी के तेज तर्रार नेताओं में माने जाते हैं। होशियारपुर से पूर्व मंत्री सोहन सिंह ठंडल के अलावा हाल ही में पार्टी में शामिल हुए पूर्व जिला स्वास्थ्य अधिकारी लखबीर सिंह के नाम पर भी चर्चा की गई। इन दोनों में से ही किसी एक को टिकट दी जाएगी। शिअद इस सीट पर पहली बार उम्मीदवार खड़ा करेगा। फिलहाल लुधियाना से पार्टी को किसी बड़े चेहरे की तलाश है। बैठक में विधानसभा में पार्टी के नेता मनप्रीत सिंह अयाली भी शामिल हुए। अयाली पिछले लंबे समय से पार्टी लीडरशिप पर सवाल उठाते रहे हैं, इसलिए वह बैठकों से दूरी ही बनाकर रखते थे। अब बैठक में शामिल होने से तय हो गया है कि अब वह लीडरशिप के साथ ही चलेंगे।