16 फरवरी की देशव्यापी हड़ताल को सफल बनाने के लिए ट्रेड यूनियनों ने बनाई रणनीति

16 फरवरी की देशव्यापी हड़ताल को सफल बनाने के लिए ट्रेड यूनियनों ने बनाई रणनीति

केंद्र सरकार के तुगलकी फरमानों के खिलाफ 16 को बंद रहेंगे उद्योग : हरदीप बावा 


बददी / सचिन बैंसल : केंद्र सरकार की मजदूर, कर्मचारी, ट्रांसपोर्ट व किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ 16 फरवरी की देशव्यापी हड़ताल की तैयारियों के सिलसिले में सीटू, इंटक, एटक सहित केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच ने औद्योगिक मजदूरों का एक राज्य स्तरीय अधिवेशन भुड बैरियर बद्दी में किया। इस अधिवेशन को सीटू राष्ट्रीय सचिव डॉ कश्मीर ठाकुर, इंटक प्रदेशाध्यक्ष बाबा हरदीप सिंह, एटक प्रदेशाध्यक्ष जगदीश चंद्र भारद्वाज, सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा, उपाध्यक्ष जगत राम, इंटक जिलाध्यक्ष श्याम ठाकुर, एटक जिलाध्यक्ष सतीश शर्मा व उपाध्यक्ष नरेश घई ने सम्बोधित किया। अधिवेशन में ओमदत्त शर्मा, दलजीत सिंह, अनूप पराशर, राजन गोयल, पीताम्बर ठाकुर, गजेंद्र तिवारी, अभिषेक ठाकुर, रविन्द्र कुमार, अनिल कौशल, विकास कुमार, जितेंद्र कुमार, सुनील कुमार, राजेन्द्र कुमार, कृष्ण पाल, अजय, हुस्न सहित सैंकड़ों औद्योगिक मजदूरों ने भाग लिया।


जानकारी देते हुए इंटक के प्रदेश मीडिया प्रभारी व प्रवक्ता ओम शर्मा ने बताया के ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच का मानना है कि केंद्र की मोदी सरकार पूरी तरह पूँजीपतियों के साथ खड़ी हो गयी है व आर्थिक संसाधनों को आम जनता से छीनकर अमीरों के हवाले करने के रास्ते पर आगे बढ़ रही है। ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस के नारे की आड़ में मजदूर विरोधी लेबर कोडों को थोपने, बारह घण्टे की डयूटी, फिक्स टर्म व मल्टी टास्क रोज़गार लागू करने, हड़ताल पर अघोषित प्रतिबंध लगाने व सामाजिक सुरक्षा को खत्म करने की नीति पर आगे बढ़कर यह सरकार इंडिया ऑन सेल, बंधुआ मजदूरी व गुलामी की थियोरी को लागू कर रही है। इस से केवल पूंजीपतियों, उद्योगपतियों व कॉरपोरेट घरानों को फायदा होने वाला है व गरीब और ज़्यादा गरीब होगा। मोदी की गारंटी, अच्छे दिन का वायदा करने वाली गरीब हितेषी होने का दम भरने वाली मोदी सरकार गरीबों को खत्म करने पर आमदा है।

मोदी सरकार की इस तानाशाही व मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ बीबीएन में ट्रेड यूनियनें 16 फरवरी को पूर्ण हड़ताल करेंगी। इस दौरान बीबीन में उद्योग पूरी तरह बन्द रहेंगे। ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच का कहना है कि मजदूरों के 26 हज़ार रुपये न्यूनतम वेतन की मांग ज्यों की त्यों खड़ी है। आम भारतीय की आय पचास प्रतिशत से अधिक बढ़ने का दावा करने वाली मोदी सरकार को आईएलओ ने बेनकाब कर दिया है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन आईएलओ ने हालिया जारी आंकड़ों में स्पष्ट किया है कि भारत के करोड़ों मजदूरों का वास्तविक वेतन महंगाई व अन्य खर्चों के मध्यनज़र घटा है। यह सरकार जनता को मूर्ख बनाने का कार्य कर रही है। मजदूरों व कर्मचारियों के लिए खजाना खाली होने का रोना रोने वाली केन्द्र सरकार ने पूंजीपतियों से लाखों करोड़ रुपये के बकाया टैक्स को वसूलने पर एक शब्द तक नहीं बोला है। इसके विपरीत पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए कॉरपोरेट टैक्स को घटा दिया गया है। टैक्स चोरी करने वाले पूंजीपतियों को सरकार ने पिछले पांच वर्षों में लगातार संरक्षण दिया है।