पंजाबः संयुक्त किसान मोर्चा का ऐलान, उम्मीदवारों सहित पार्टी नेताओं की गांवों में एंट्री बैन

पंजाबः संयुक्त किसान मोर्चा का ऐलान, उम्मीदवारों सहित पार्टी नेताओं की गांवों में एंट्री बैन

लुधियानाः संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर मोर्चा से जुड़े विभिन्न किसान संगठनों ने लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशियों का विरोध तेज करने का एलान किया है। पिछले दिनों हुई संयुक्त बैठक में भाजपा प्रत्याशियों के साथ-साथ इन दलों के नेताओं का भी गांवों में विरोध करने और गांवों में ना घुसने का वादा दोहराया गया। बैठक में भारतीय किसान यूनियन (दकौंदा-बुर्ज गिल), भारतीय किसान यूनियन (राजेवाल), बीकेयू (कादियां) और बीकेयू (लाखोवाल) के जिला अध्यक्षों ने भाग लिया।

जिला अध्यक्ष महिंदर सिंह कमालपुरा, तरलोचन सिंह बरमी, गुरजीत सिंह गिल और जोगिंदर सिंह ढिल्लों ने कहा कि भाजपा उम्मीदवारों को हर गांव और शहर में सवालों का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि किसान पूछेंगे कि किसान आंदोलन के दौरान किसानों के सामने किलें और बैरिकेडिंग लगाकर बाधाएं क्यों खड़ी की गईं। युवा किसान शुभकरण को गोली मारकर क्यों किया गया शहीद? किसानों के ट्रैक्टर तोड़ने के साथ ही किसानों पर हमला क्यों किया गया? उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने एमएसपी की कानूनी गारंटी का वादा पूरा नहीं किया और स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू नहीं की।

लखीमपुर खीरी मामले में न्याय नहीं मिला। दिल्ली आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज सभी मुकदमे अभी तक वापस नहीं हुए हैं। किसानों का कर्ज माफ नहीं हुआ। वादाखिलाफी करते हुए विद्युत संशोधन विधेयक 2020 संसद में पेश किया गया। इसके साथ ही इन किसान नेताओं द्वारा सत्तारूढ़ आप आदमी पार्टी के लोकसभा उम्मीदवारों को सत्ता में आने से पहले जारी चुनावी घोषणा पत्र में पंजाब के किसानों की मांगों को पूरा करने के लिए किए गए वादों को याद दिलाने के लिए सवाल पूछे जाएंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली सरकार केंद्र सरकार के सामने झुक गई है। इस तरह इस बदली हुई सरकार ने पंजाब और किसानों को धोखा दिया है।