बददी में आर्य समाज ने मनाई महऋर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती
मानव के कल्याण पर दिया बल-कुलवीरआर्य समाज के बददी के अध्यक्ष कुलवीर सिंह आर्य ने कहा कि दयानंद सरस्वती ने मानव मात्र के कल्याण के लिए सार्वभौमिक धर्म की धारणा पर बल दिया है, जिसे उन्होंने ‘सर्वतंत्र सिद्धांत’ अथवा ‘सनातन नित्य धर्म’ कहा है। उनकी मान्यता के अनुसार धर्म वह है जो तीनों कालों में एक जैसा मानने योग्य हो। धर्म वह है जिसे सत्यमानी, सत्यवादी, सत्यकारी, परोपकारी विद्वान मानते हों, वही सबको स्वीकार हो। दयानंद ने जीवन के प्रति मनुष्य के मर्यादित और संतुलित दृष्टिकोण को ही धर्म की संज्ञा दी है। इस देश के अंधेरों में ज्ञान की मशाल जलाने वाले आधुनिक भारत के मनीषियों में स्वामी दयानंद सरस्वती भी हैं। इनकी वेदों में दृढ़ निष्ठा थी, जिसके प्रचार-प्रसार के लिए इन्होंने मुंबई में आर्य समाज की स्थापना की। जिसका भारतीय समाज पर बड़ा असर पड़ा, देश को कई सामाजिक बुराइयों से मुक्त होने में बड़ी मदद की। ऐसे मनीषी की जयंती पर देश उनको नमन कर रहा है।
यह रहे उपस्थित-
इस अवसर आर्य समाज के दीप आर्य, संगीता आर्य, अशोक डागर, हर्ष आर्य, रोहित आर्य, मनीष आर्य, नरेश भारद्वाज, अंकित परमान, नरेश गोयल, डा. आरपी सिंह, बलविंद्र सिंह ठाकुर, राजपूत सभा के सचिव शेषपाल राणा, कमलेश बंसल, नितिन पाटिल, अनिल मलिक, रोड सेफटी प्रधान सुरेंद्र अत्री, चिंतन कुमार चौधरी, योग संगठन मंत्री डा. किशोर ठाकुर, शिव कुमार सिंह, सुबोध कुमार, सरोज आर्य, आभा, डा .श्रीकांत शर्मा सूरजपूरी, कुसुम बंसल, डा प्रवीर गोयल, कपिल भाटी, सुनील राजपूत, रमन कौशल, राकेश यादव, सुनील शर्मा, सुरेश शर्मा सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित थे।