सिपैट संस्थान झाड़माजरी में सिविल सोसाईटी बारे बताया

सिपैट संस्थान झाड़माजरी में सिविल सोसाईटी बारे बताया

अधिकार के साथ साथ कर्तव्य व जिम्मेदारियां भी जरुरी: किशोर

संस्थान के छात्रों से हिमालया एनजीओ के सदस्यों ने किया संवाद

बददी/सचिन बैंसल : सिपैट शैक्षणिक संस्थान झाड़माजरी के छात्रों के साथ संवाद करते हुए आज हिमालया जनकल्याण समिति के सदस्यों ने उनको सिविल सोसाईटी के बारे में बताया। जनकल्याण समिति के संरक्षक रुप किशोर ठाकुर ने अपने संबोधन में कहा कि सिविल सोसाईटी का अर्थ होता है कि गैर सरकारी, निजी , स्वैच्छिक रुप से संगठित संघ या लोगों की संस्थाए जिनके माध्यम से वे अपनी आवश्यकताओं , इच्छाओं और उदेश्यों को सुरक्षित करते हैं। सिविल सोसाईटी भी सरकार की गलत राजनीति, फैसलों और परियोजनाओं का विरोध करती है। उन्होने कहा कि सरकार का काम देश का काम चलाना है जिसमें नीतियां व योजनाएं बनाकर देश का विकास करना होता है। लेकिन हम सब कुछ सरकार पर नहीं छोड सकते और सिविल सोसाईटी के माध्यम से लोगों को अधिकारों व कर्तव्यों के माध्यम से जागरुक करते हैं। संगठन बनाकर हमें देश समाज व राष्ट्र के प्रति सेवा करनी चाहिए। हम एनजीओ व सोसाईटी बनाकर अपने मोहल्ले, गांव, शहर व कालोनी का विकास कर सकते हैं। राज्य के नागरिकों की सेवा करने की क्षमता का अर्थ ही सुशासन है।

सुशासन के अंतर्गत वे सभी नियम व कानून प्रक्रियाएं, संसाधन एवं व्यवहार शामिल हैं, जिनके द्वारा नागरिकों के मसले व्यक्त किए जाते हैं, संसाधनों का प्रबंधन किया जाता है और शक्ति का प्रयोग किया जाता है। अर्थात राज्य द्वारा संसाधन एवं शक्ति का प्रयोग समाज के विकास एवं कल्याण के लिए किया जाता है। सुशासन को प्रभावी ढंग से लागू करने करने में राज्य / सरकार, बाजार एवं नागर समाज (सिविल सोसाइटी) की महत्वपूर्ण भूमिका है। नागर समाज के अंतर्गत गैर-सरकारी संगठन, नागरिक समाज के संगठन, मीडिया संगठन, एसोसिएशन, ट्रेड-यूनियन व धार्मिक संगठन आते हैं। किशोर ठाकुर ने कहा कि सुशासन को अमल में लाने के लिए नागरिक समाज का अहम स्थान है, क्योंकि यही समाज की क्षमता में वृद्धि करते हैं और उसे जागरूक बनाते हैं। यही सरकार या राज्य को आगाह करते हैं कि कैसे नागरिकों की भागीदारी से उनका संपूर्ण विकास किया जाए। नागरिक समाज सामूहिकता को बढ़ावा देकर सहभागिता को सामाजिक जीवन का अंग बनाता है। एनजीओ वे संस्थाएं होती हैं, जिनकी गतिविधि सरकारी या विदेशी संस्थाओं के सहयोग से चलती हैं। इन संस्थाओं को बढ़ावा देने वाले सामाजिक कार्यकर्ता सामान्यत: वे होते हैं, जिनका समाज से सरोकार होता है और वे अपने प्रारंभिक ‘करियर’ में सामाजिक कार्यकर्ता ही रहे। कार्यक्रम में हिमालया जनकल्याण समिति के अध्यक्ष रणेश राणा ने भी अपने विचार रखे।