पंजाबः अब उर्दू शायरी के सरताज बनें सतिंदर सरताज 

पंजाबः अब उर्दू शायरी के सरताज बनें सतिंदर सरताज 

चंडीगढ़/प्रवेशः मसला ए दिल को समझो तो ताल्लुकात लिखो। ये है गायक डॉ. सतिंदर सरताज का नया अंदाज, वो भी खालिस उर्दू में। डॉ. सतिंदर सरताज ने उर्दू शायरी  की यह नई एलबम जारी कर एक अनूठी अवधारणा पेश की है। वह पंजाब से लुप्त होती उर्दू भाषा में शायरी का एक एलबम लेकर आए हैं। पंजाबी संस्कृति को समझने और पंजाब के इतिहास को जानने के लिए फारसी और उर्दू भाषा का ज्ञान अनिवार्य है। जिससे प्रत्यक्ष स्रोतों से जानकारी प्राप्त की  जा सके। डॉ. सरताज इससे पहले फारसी में जफरनामा भी गा चुके हैं।

कलात्मकता और मनोरंजन की दुनिया में भी यह एलबम अद्वितीय और अग्रणी है क्योंकि यह कविता को एक गीत के रूप में प्रस्तुत करता है। इसे फिल्माते समय, सरताज ने कविता के बोल को ध्यान में रखते हुए और आधुनिक और फैशनेबल लुक के संयोजन के साथ स्थानों का चयन किया है। उन्होंने अपनी शायरी के लिए ताजमहल, गालिब की हवेली, दुबई को चुना है। सरताज ने पैसे कमाने के बजाय समाज को दिशा देने वाले प्रोजेक्ट को चुना है। उन्हें एक ऐसे व्यक्ति के रूप में जाना जाता है जो अपने दिल के करीब प्रोजेक्ट करता है जो उसे तृप्ति और संतुष्टि देता है।