बददी: सरकारी बंद रहे तो निजी स्कूलों को सरकार के आदेशों की परवाह नहीं

बददी: सरकारी बंद रहे तो निजी स्कूलों को सरकार के आदेशों की परवाह नहीं

बददी/सचिन बैंसल: प्रदेश सरकार द्वारा घोषित राजपत्रित अवकाश बीबीएन के निजी स्कूलों के लिए कोई मायने नहीं रखते। निजी स्कूलों ने अलग से ही अपनी सरकार व संविधान बना रखा है कि हम सरकारी आदेशों को माने या न मानें हमारी मर्जी। हम सरकार से भी उपर हैं। बुद्व पूर्णिमा के बाद सोमवार को जहां पूरे प्रदेश के सरकारी कार्यालय व सरकारी विद्यालय बंद रहे वहीं बददी बरोटीवाला नालागढ़ मानपुरा के अधिकांश निजी स्कूल खुले रहे। न इनको सरकारी फरमानों की परवाह थी न ही हिंदोस्तान के महान योद्वा महाराणा प्रताप के जीवन चरित्र को उजागर करने का समय था। इस पर जहां निजी स्कूलों अध्यापकों में भारी रोष था वहीं अभिभावकों ने भी दुख प्रकट किया है कि महाराणा प्रताप जयंती पर 22 मई को निजी स्कूलों ने सार्वजानिक अवकाश वाले दिन विद्यालय खोल रखे थे। इस बात को वो जिला सोलन व उपमंडल नालागढ़ प्रशासन की ढुलमूल कार्यप्रणाली को जिम्मेदार ठहराते नजर आए।

अभिभावकों ने कहा कि इस दिन शहरों व गांवो में कई सार्वजनिक कार्यक्रम होते हैं लेकिन वो वहां नहीं जा सके। जिलाधीश व एसडीएम को दिन औचक निरीक्षण करके स्कूलों पर कार्यवाही करनी चाहिए ताकि पूरे देश व प्रांत में एक जैसा कानून लागू हो सके। या तो सरकार इस दिन की छुटटी रदद करे न हीं तो यह छुटटी सबको मिलनी चाहिए थी। इस विषय में एसडीएम नालागढ़ दिव्यांशु सिंघल ने कहा कि आपके माध्यम से निजी स्कूलों के राजपत्रित अवकाश वाले दिन खुला रहने की शिकायत आई है और हम इसकी जांंच करेंगे और शिक्षा उप निदेशक से पूछेंगे कि इसमें क्या प्रावधान है।

मीडीया ने सोशल मीडीया पर पूछा था कि कौन कौन से स्कूल महाराणा प्रताप जयंती पर खुले रहे तो अभिभावकों व आम लोगों ने बताया कि वी आर पब्लिक स्कूल, औरोबिंदो, अमरावती विद्यालय, गीतांजलि स्कूल नालागढ़, दून वैली स्कूल, बददी विश्वविद्यालय, डीपीएस स्कूल, विवेक स्कूल बददी, सुशीला पब्लिक स्कूल आदि विद्यालय खुले रहे। अब उपमंडल व जिला प्रशासन की ओर निगाहें है कि वो सरकार नियमों की उल्लंघना करने पर क्या एक्शन लेते हैं। लोगों ने कहा कि जब अल्पसंख्यक त्यौहारों पर सभी स्कूल बंद रहते हैं जिसमें छात्रों की सख्यां 2 फीसदी होती तो हिंदुओं के प्रेरणा स्त्रोत व आराध्यदेवों पर छुटटी पर कैचीं क्यों चला दी जाती है। किसी किसी स्कूल में एक भी ईसाई बच्चा नहीं होतो लेकिन फिर भी क्रिसमस की छुटटी कर दी जाती है।