क्या नालागढ़ विधानसभा इस बार भोग सकेगी सत्ता सुख

क्या नालागढ़ विधानसभा इस बार भोग सकेगी सत्ता सुख
नालागढ़/सचिन बैंसल: रविवार को हिमाचल प्रदेश के नए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू व उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने शपथ ली ।इस शपथ समारोह में नालागढ़ विधानसभा से निर्दलीय उम्मीदवार के एल ठाकुर भी मंच पर विराजमान दिखाई दिए। के एल ठाकुर के शपथ समारोह में जाने से लगभग साफ हो गया है कि इस बार नालागढ़ को सत्ता सुख मिलने वाला है क्योंकि इससे पहले 2007 में केवल नालागढ़ को सत्ता सुख मिला था। लेकिन उसके बाद से नालागढ़ में विधायक तो बने लेकिन शिमला में उनकी सरकार नहीं बनी। आज तक का इतिहास देखें तो 1954 में पेप्सू के समय नालागढ़ के तत्कालीन विधायक  राजा सुरेंद्र सिंह विकास मंत्री बने थे। उसके बाद 1966 में नालागढ़ तहसील का विलय हिमाचल में हुआ । इसके बाद  आज तक नालागढ़ के लिए कभी भी मंत्री पद नहीं नसीब हुआ हालांकि राजा विजेंद्र सिंह और हरीनारायण सैनी अल्प काल के लिए मंत्री अवश्य बने थे लेकिन मुख्यमंत्री से मतभेद के चलते मंत्री पद गंवाना पड़ा था। राजा विजयेंद्र सिंह लगातार पांच बार विधायक और  हरीनारायण सिंह सैनी तीन बार विधायक रहे लेकिन कभी भी मंत्री पद नहीं मिल पाया जिसके कारण नालागढ़ का जो विकास होना चाहिए था ,नहीं हो पाया ।
1977 नालागढ़ से जनता पार्टी के विजयेंद्र सिंह चुने गए थे लेकिन शांता कुमार से अनबन होने के कारण उन्हें मंत्री पद नहीं मिल पाया था।  1982 में विजयेंद्र सिंह कांग्रेस के टिकट से चुने गए थे। 1983 में हिमाचल में रामलाल के स्थान पर वीरभद्र सिंह को मुख्यमंत्री बनाया गया उस समय विजेंदर सिंह मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे । कुछ समय के लिए उन्हें स्वास्थ्य राज्यमंत्री बनाया गया था लेकिन वीरभद्र सिंह से  मतभेद के चलते  मंत्री पद छोड़ना पड़ा था। 1985 और 1993 में भी कांग्रेस सरकार के समय वरिष्ठ विधायक रहे लेकिन उन्हें मंत्री पद नहीं मिल पाया।
1998 में नालागढ़ से विजयेंद्र सिंह को हराकर हरि नारायण सिंह विधायक बने थे। कुछ समय के लिए उन्हें मंत्री बनाया गया था लेकिन शांता गुट के होने के कारण धूमल से भी उनका 36 का आंकड़ा रहा जिसके मंत्री पद की छुट्टी हो गई । 2007 में जब फिर से धूमल सरकार बनी तो उस  समय भी सैनी को सरकार में कोई स्थान नहीं मिल पाया । 2012 में हिमाचल में वीरभद्र सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार बनी लेकिन उस समय नालागढ़ से भाजपा  से केएल ठाकुर विधायक बने थे । उसके बाद 2017 में जब भाजपा सरकार बनी तो भी दुर्भाग्य ने नालागढ़ का साथ नहीं छोड़ा और  केएल ठाकुर चुनाव हार गए और विधायक कांग्रेस का चुना गया।