करीब डेढ़ महीने में कार चलाकर अमेरिका से जालंधर पहुंचा व्यक्ति, देखें वीडियो

करीब डेढ़ महीने में कार चलाकर अमेरिका से जालंधर पहुंचा व्यक्ति, देखें वीडियो
करीब डेढ़ महीने में कार चलाकर अमेरिका से जालंधर पहुंचा व्यक्ति

जालंधर/हर्षः कहते हैं कि ख्वाहिशों की कोई कीमत नहीं होती और उसे पूरा करने के लिए इंसान दिन-रात एक कर देता है। बहुत कम लोग होते हैं जो अपने ख्वाब को साकार कर पाते हैं। ऐसे ही अपनी ख्वाहिश को अमेरिका में रहने वाले लखविंदर सिंह ने साकार किया है। उन्होंने अमेरिका से जालंधर तक का सफर अपनी शानदार कार में सड़क मार्ग द्वारा तय किया है। बता दें कि इस सफर को उन्होंने लगभग डेढ़ महीने में तय किया है और बहुत सारे देशों के लोगों के साथ उनकी मुलाकात भी हुई।

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उनके कोरोना काल के समय में दिल में ख्वाहिश आई थी। लेकिन आज उन्होंने इस ख्वाहिश को पूरा कर लिया। मीडिया के साथ बातचीत करते हुए लखविंदर सिंह ने बताया कि 1985 में वह अपने पूरे परिवार के साथ अमेरिका चले गए थे, उसके बाद से ही वह पूरे परिवार के साथ अमेरिका में रह रहे हैं। अमेरिका से जालंधर सड़क मार्ग से आने की ख्वाहिश को लेकर कहा पहले जब मैंने अपने घर वालों को बताया तो उन्होंने साफ साफ मना कर दिया की तुम जिंदा वापस नहीं आओगे इसलिए हम तुम्हें जान नहीं देंगे। लेकिन बाद में किसी तरह मैंने अपने परिवार को मना लिया। उसके बाद मैंने अपने कागजात का काम करवाया और निकल पड़ा अमेरिका टू जालंधर के सफर पर। इस सफर में मेरे साथ बहुत सी हसीन यादें जुड़ गई हैं। क्योंकि कैलिफोर्निया का नंबर देखकर सभी लोग मेरे पास आते थे।

मेरे साथ सेल्फी लेते थे और बहुत अच्छा बर्ताव भी करते थे। उन्होंने कहा कि मैं शुद्ध शाकाहारी हूं इस वजह से कई जगह खाने की दिक्कत हुई। उन्होंने कहा कि मैं फल से अपना काम चला लेता था। लखविंदर ने बताया कि इस सफर में सबसे ज्यादा दिन मैं पाकिस्तान में रुका। मेरे परिवार वाले मुझे डरा रहे थे कि तुम कहीं और चले जाओ, पाकिस्तान में तुम मारे जाओगे। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं था। लखविंदर ने कहा कि मैं वहां पर 13 से 14 दिन रहा और वहां की अवाम ने मुझे बहुत ज्यादा प्यार दिया। क्योंकि उनको लगता था कि मैं उनके ही दूसरे पंजाब से आया हूं और मैं उनका भाई हूं। मेरे लिए बर्तन धो कर खास तौर पर शुद्ध शाकाहारी खाना बनाया जाता था। कुछ वाक्य तो वहां पर इस प्रकार हुए की उनका प्यार देखकर आंखों में पानी आ जाता था।