औद्योगिक निवेश के लिए नियमों व कानूनों में सरलीकरण करना वक्त की जरुरत: राजीव अग्रवाल

औद्योगिक निवेश के लिए नियमों व कानूनों में सरलीकरण करना वक्त की जरुरत: राजीव अग्रवाल
बददी/सचिन बैंसल: बीबीएनआईए के पदाधिकारियों ने कहा कि  हिमाचल प्रदेश का उद्योग जगत सिर्फ कारखाने स्थापित करने के लिए ही नहीं जाना जाता बल्कि इसके यहां के औद्योगिक, सामाजिक व रोजगार के सृजन में अहम योगदान है।  हिमाचल प्रदेश का उद्योग जगत बीबीएन में 4 लाख व पूरे प्रांत में 10 लाख का रोजगार दे रहा है। प्रदेश की जो स्थिति है उसके बाद उद्योग जगत को संभालना व उसका संरक्षण संर्वधन तथा उत्थान करना राज्य सरकार का काम है। इसके लिए जहां विशेष नीतियां बननी चाहिए वहीं नियमों का सरलीकरण समय की मांग ही नहीं बल्कि जरुरत है। यह बात बददी के निकट किशनपुरा ली मैरियट सभागार में पत्रकार से बातचीत में बोल रहे ते। 
बीबीएन उद्योग संघ के अध्यक्ष राजीव अग्रवाल, महासचिव यशवंत गुलेरिया, वरिष्ठ उपाध्यक्ष अनुराग पुरी, संरक्षक राजेंद्र गुलेरिया, हरीश अग्रवाल, संगठन मंत्री मुकेश जैन व सलाहकार शैलेष अग्रवाल ने कहा कि बीबीएन क्षेत्र राज्य के औद्योगीकरण में 70 फीसदी योगदान देता है और यह राज्य की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देता है। इसमें लगभग 1 लाख करोड़ के टर्नओवर वाली लगभग 2400 सक्रिय इकाइयां शामिल हैं, जो लगभग 4.0 लाख लोगों को रोजगार देती हैं, एसजीएसटी में 29फीसदी योगदान देती हैं और एचपीएसईबीएल द्वारा बेची जाने वाली कुल बिजली का लगभग 45फीसदी उपभोग करती हैं।
एक साल में उद्योग जगत पर हर तरफ से मार-
अध्यक्ष राजीव अग्रवाल व संगठन मंत्री मुकेश जैन ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में उद्योग जगत पर कुछ निर्णय थोपे गए हैं, जिससे  कुछ उद्योगों ने अपना आधार बददी बरोटीवाला से स्थानांतरित कर लिया है, कुछ बड़ी कंपनियों ने हिमाचल प्रदेश में विस्तार न करने का निर्णय लिया और नए निवेश को अन्य राज्यों में स्थानांतरित कर दिया। बीबीएनआईए ने कहा कि बिजली शुल्क में वृद्धि एच.पी. सरकार का बिजली शुल्क में असामान्य वृद्धि की, जो अब देश में सबसे अधिक है। औद्योगिक नीति में जिस नए उद्योग के लिए रियायती शुल्क का वादा किया गया था, उसे वापस ले लिया गया है और ऐसे मामलों में प्रभाव 18 फीसदी गुना बढ़ गया है।  इसके अलावा, इसे पहली बार कैप्टिव जनरेशन पर भी थोपा गया है और सौर ऊर्जा को भी नहीं बख्शा है। निवेश आकर्षित करने की राज्य की एकमात्र यूएसपी ख़त्म हो गई है। प्लास्टिक, एल्युमीनियम और सीसा जैसे नए अतिरिक्त उत्पादों पर एजीटी का लेवी- उद्योग इस लेवी को वापस लेने के लिए कह रहा है। 
प्रतिस्पर्धी परिवहन लागत-
उद्योग ने हमेशा धरती पुत्र के साथ काम करना पसंद किया है और इसे कम करने के लिए निरंतर चर्चा के साथ 30-40 फीसदी अधिक माल ढुलाई शुल्क वहन कर रहा है। इसके बजाय, एनटीओयू द्वारा हाल ही में माल ढुलाई शुल्क में 12फीसदीकी मनमाने ढंग से वृद्धि ने उद्योग को झटका दिया है। कई सदस्यों ने अपनी स्थिरता के बारे में हमसे संपर्क किया है। उद्योग के पास इसे बंद करने या बाहर से ट्रक मंगाने के लिए एनटीओयू से लडऩे के अलावा कोई विकल्प नहीं है और बड़ी कंपनियां दूसरे विकल्प को प्राथमिकता देती हैं।
विभाग की सेवाओं का उपयोग करने की बाध्यता -
बोरवेल खुदाई के लिए पंजीकृत विक्रेता का एक और कार्टेल बन गया और उद्योग को खुले बाजार की तुलना में 40फीसदी अधिक लागत चुकानी पड़ी।
बुनियादी ढांचा-
राजेंद्र गुलेरिया ने कहा कि आधुनिक आवास, अस्पताल, स्कूल, स्ट्रीट लाइट आदि जैसी मानक रहने योग्य सुविधाओं की कमी के साथ संयुक्त आंतरिक भौतिक बुनियादी ढांचे की कमी है। सरकार को नालागढ़ सिसवां रोड और बददी को ट्राई-सिटी के लिए योजनाबद्ध मेट्रो परियोजना से जोडऩे का प्रयास करना चाहिए। नालागढ़-दभोटा और नालागढ़ ढेरोवाल रोड फोर लेन बनना चाहिए।
नगर निगम बने बीबीएन-
संयुक्त सचिव अशोक राणा नेक हा कि बीबीएन उद्योग संघ ने शहरीकरण के प्रति अपने सोच व प्रतिबद्वता दर्शाई है। अनुराग पुरी ने कहा कि नगर निगम के गठन से पूरे बीबीएन के नियोजित विकास करने और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए भारत सरकार की योजनाओं से धन का उपयोग करने में मदद मिलेगी।
धारा 118 की प्रक्रिया का सरलीकरण-
बीबीएन उद्योग संघ के संरक्षक राजेंद्र गुलेरिया  व संगठन मंत्री मुकेश जैन ने कहा कि यह एक लंबे समय से लंबित मुद्दा है, विशेष रूप से एक ही उद्देश्य के लिए किराए पर देने या बेचने के दौरान बार बार अनुमतियों के लिए। सरलीकरण के सरकारी दावों के बावजूद ज़मीन पर कुछ नहीं हुआ। निवेश ब्यूरो- सभी अनुमतियों के लिए व्यापार करने में आसानी के लिए एकल बिंदु संपर्क  बनाने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन अब तक कुछ भी नहीं हुआ है।