अकाली-बसपा गठबंधन की अटकलों पर लगा विराम

अकाली-बसपा गठबंधन की अटकलों पर लगा विराम

चंडीगढ़: शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल और उनकी पत्नी हरसिमरत कौर बादल ने आज बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती से उनके निवास मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने अगले लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में पुराने आपसी गठबंधन की मजबूती व तालमेल बनाए रखने आदि के सम्बंध में दौरान विस्तार से बातचीत की गई। दोनों पार्टियों के शीर्ष नेतृत्व में शुरू से ही इस बात को लेकर आम सहमति थी कि चुनाव के दौरान भी दोनों पार्टियों के बीच पूरी एकता, एकजुटता व समन्वय हर हाल में बरकरार रहनी चाहिए। विरोधियों की लाख षडयंत्रकारी कोशिशों के बावजूद शिअद- बसपा गठबंधन को गांव-गांव में मजबूत बनाकर वादा खिलाफी नहीं बल्कि पूरी तरह से वादा निभाने वाली पंजाब की मनपसन्द गठबंधन बनने का अपना प्रयास लगातार जारी रखना है। ताकि विरोधी पार्टियों के वादा खिलाफी चंगुल से लोगों को मुक्ति मिल सके।

मायावती ने इस अवसर पर कहा कि बसपा को अकाली दल के नेताओं पर पूरा भरोसा है कि वे भी बसपा की तरह ही अपना वोट भी हमारी पार्टी को ट्रांसफर कराने में कोई कोर-कसर नही छोड़ेंगे, ताकि गठबंधन का वाकई में फायदा हो और इसके ज्यादा से ज्यादा उम्मीदवार चुनाव जीत का अच्छा मैसेज दे सकें। मायावती ने अकाली नेताओं से बातचीत में बताया कि चुनाव दौरान यूपी आदि में राज्य स्तर पर अभी तक जो भी चुनावी गठबंधन किया है उससे केवल पंजाब को छोड़कर, हमारी पार्टी की तरह उनका वोट हमें ट्रान्सफरेबल नहीं होने के कारण बसपा को हानि ही हुई है।

इसलिए इस मामले में पंजाब को छोड़कर अब तक के ज्यादातर रहे खराब अनुभवों को ध्यान में रखकर बसपा ने अगले चुनावों में अकेले ही अपने बल पर लड़ने का फैसला किया है। जिसे अकाली नेताओं ने सराहा और बसपा के भरोसे पर खरा उतरने के लिए पूरी जी-जान से जमीनी स्तर पर काम करने का यकीन दिलाया। इस दौरान उन्होंने कहा कि पंजाब की जनता, पिछली कांग्रेस पार्टी की सरकार की तरह ही अब आप पार्टी दुःखी है, क्योंकि आप पार्टी ने जनहित के जो खास चुनावी वादे लोगों से किए गए थे।

उन पर सही से अमल नही किया जा रहा है, जो उनके साथ फिर से वादाखिलाफी वाली अच्छी बात नहीं है। चाहे पंजाब को नशा के अभिशाप से मुक्त करने व इसके अवैध धंधे को समाप्त करने की बात हो, कानून-व्यवस्था में सुधार अथवा गरीबों, मजदूरों व किसान समाज आदि के हित व उनके उत्थान की बात हो, जमीनी स्तर पर वादाखिलाफी होती चली जा रही है। पंजाब के लोगों ने कांग्रेस पार्टी से मुक्ति पाने के लिए एक नया प्रयोग किया, किन्तु उससे भी उन्हें मायूसी का सामना होने पर उनका भरोसा वापस अकाली दल-बसपा गठबंधन की तरफ लौट रहा है, जिसके लिए गठबंधन को आपस में पूरे मेलजोल व तालमेल के साथ कड़ी मेहनत करने की जरूरत है जिससे लोकसभा में अच्छे रिजल्ट तथा उस माध्यम से फिर देश की राजनीति में बेहतर तब्दीली संभव हो सकती है।

मायावती ने आज की इस खास बैठक में शिरोमणि अकाली दल के संरक्षक व पंजाब के कई बार मुख्यमंत्री रहे प्रकाश सिंह बादल, जो अस्वस्थ्य चल रहे हैं, उनकी अच्छी सेहत के साथ लम्बी उम्र की कुदरत से कामना की तथा दोनों पार्टियों के गठबंधन को बनाने तथा उसको मजबूती प्रदान करने के सम्बंध में उनकी ईमानदार कोशिशों व महत्त्वपूर्ण योगदान की काफी सराहना करते हुए कहा कि पंजाब राज्य की जनता के व्यापक हित, कल्याण तथा उनके बेहतर भविष्य के लिए दोनों पार्टियों के गठबंधन को उनका स्नेह एवं आशीवार्द पहले की तरह ही आज भी पूरी मजबूती के साथ बरकरार है।