नालागढ़ में सद्भावना गोष्ठी का हुआ आयोजन।

नालागढ़ में सद्भावना गोष्ठी का हुआ आयोजन।

हिंदू समाज को तोड़ने के लिए अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र चल रहा है - राकेश गुप्ता।

नालागढ़/सचिन बैंसल: भारत में पहले न कोई जाति पाती का भेदभाव था न ही कोई कुरीतियां थी, यह सब विदेशी शासकों और आक्रांताओं की देन है, यह बात नालागढ़ में सद्भावना गोष्ठी को संबोधित करते हुए धर्म जागरण के उत्तर क्षेत्र प्रमुख राकेश गुप्ता ने कही। उन्होंने कहा कि भारत में पहले जाति कर्म प्रधान थी न कि जन्मप्रधान। जो व्यक्ति जो व्यवसाय कर रहा है उसकी वही जाति मानी जाती थी। यदि कोई और दूसरा व्यवसाय अपना लेता तो उसकी जाति कर्म के अनुसार फिर से निर्धारित होती थी।

इसका सबसे बड़ा उदाहरण है कि हमारे देश में अनेक राजा हुए हैं जो अनेक प्रकार की जातियों से संबंध रखते हैं। उन्होंने कहा कि 1927 में जब साइमन कमीशन भारत आया तो उसने अपने रिपोर्ट में भारत में जाति प्रथा को जन्म से जोड़ा और जाति प्रमाण पत्र की प्रथा शुरू की। उन्होंने कहा कि भारत में नारी का दर्जा सदैव उच्च रहा है। इसलिए बालक का नाम माता के नाम से जाना जाता था न कि पिता के नाम से जैसे कृष्ण को देवकीनंदन या यशोदा नंदन के नाम से और अंजनी पुत्र हनुमान को आंजनेय, तथा  कर्ण को राधेय के नाम से जाना जाता था।

जबकि पश्चिमी देशों में नारी को केवल भोग की वस्तु माना जाता था। अंग्रेजों द्वारा सती प्रथा के विषय में मिथ्या प्रचार किया गया जबकि वास्तव में दक्ष प्रजापति की पुत्री सती के अतिरिक्त कोई सती नहीं। यह केवल हिंदू समाज को बदनाम करने के लिए प्रचार किया गया। भारत में जो पर्दा प्रथा आई वह भी आक्रांताओं के कारण आई। उन्होंने कहा कि हिंदू समाज में जाति-पाति तथा अन्य कृतियों का प्रचार केवल भारत को तोड़ने के लिए किया जा रहा है और यह अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र है।

उन्होंने कहा कि हमें इससे बचने की आवश्यकता है। उन्होंने अन्य धर्म के विषय में कहा कि भेदभाव तो इस्लाम और ईसाई धर्म में भी है लेकिन प्रचार केवल हिंदू धर्म के विषय में किया जाता है। हमे इससे सावधान रहने की आवश्यकता है। तभी हमारा धर्म और संस्कृति बचेगी। गोष्ठी में हिमाचल के धर्म जागरण समन्वय प्रमुख अजय, स्वामी शिवानंद सरस्वती, जिला संघचालक महेश कुमार, जिला धर्म जागरण प्रमुख परविंद्र, श्रवण कुमार्, राकेश कुमार, रूप लाल, रमेश ठाकुर, सुषमा शर्मा सहित सैंकड़ों लोग उपस्थित थे।