धूप न मिलने से गांव वासियों ने बना डाला खुद का सूरज

धूप न मिलने से गांव वासियों ने बना डाला खुद का सूरज

नई दिल्लीः उत्‍तर भारत में कोहरे और धुंध की घनी चादर छाई रही है। लोग ठिठुरन से बचने के लिए या तो रजाई में छुप रहें है या हीटर, अंगीठी और ब्‍लोअर का इस्‍तेमाल करने लगे। लेकिन, एक गांव ने इसका ऐसा उपाय निकाला, जिसके बारे में किसी भी आम आदमी के लिए सोचना भी मुश्किल है। इस गांव के लोगों ने अपना आर्टिफिशियल सूरज ही बना डाला। यहां हम चीन की बात नहीं कर रहे हैं।

दरअसल, इटली के इस गांव में सूरज तो उगता था, लेकिन लोकेशन कुछ ऐसी थी कि गांव के किसी भी हिस्‍से तक धूप नहीं पहुंचती थी। धूप ना पहुंचना इस गांव के लिए बड़ी समस्या बन गई। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए गांव वालों ने सूरज को धरती पर ही उतार लिया। 

आर्टिफिशियल सूरज से रोशन गांव. (Image: X/@alexsisifo)

दरअसल, उन्होंने धूप की ऐसी व्यवस्था की है, जिसे देखकर हर कोई कहता है कि उन्होंने अपने लिए अलग से सूरज बना लिया है। ये विगनेला गांव स्विट्जरलैंड और इटली के बीच मौजूद है। यहां 11 नवंबर से 2 फरवरी के बीच सूरज की रोशनी बहुत धीमी हो जाती है।

विगनेला गांव पहाड़ों के बीच में बसा है। इसीलिए ढाई महीने यहां सूरज की सीधी रोशनी नहीं पहुंच पाती थी। हालात इतने खराब थे कि यहां 11 नवंबर को सूरज गायब हो जाता था। फिर 2 फरवरी को ही गांव वालों को दोबारा सूरज देखने को मिलता था। स्‍थानीय लोगों को साइबेरिया जैसा अनुभव होता है। इस गांव में 200 लोग ही रहते हैं। सदियों से सूरज के गायब होने और फिर ढाई महीने बाद ही दिखने का ये सिलसिला जारी था।

साल 2005 में विगनेला के मेयर पियरफ्रैंको मिडाली की मदद से करीब 1 करोड़ रुपए जुटाए गए। फिर गांव के सामने के पहाड़ पर बहुत बड़े शीशे को लगाने का काम शुरू किया गया। गांव वालों ने नवंबर 2006 तक 40 वर्ग मीटर का एक शीशा पहाड़ के ऊपर लगा लिया। इसका वजन 1.1 टन था। इसे 1100 मीटर की ऊंचाई पर लगाया गया था। शीशे पर धूप की रोशनी पड़ी, जिसे गांव की ओर रिफ्लेक्ट किया गया। शीशे का आकार बड़ा होने के कारण दिसंबर 2006 में पहली बार पूरे गांव को रोशनी मिली। 

शीशे का एंगल ऐसा सेट किया गया कि रोशनी से गांव के चर्च के सामने मौजूद चौक पर धूप रहे। ये कंप्‍यूटराइज्‍ड शीशा पूरे दिन सूरज की चाल को फॉलो करता है और घूमता रहता था। ऐसे में ये शीशा करीब 6 घंटे गांव के एक हिस्से को रोशन करता है। शीशा लगने के बाद लोगों के स्वभाव में बड़ा परिवर्तन देखने को मिला है।