धान की सीधी बिजाई करें, 30% पानी, ईंधन और मजदूरी बचाएं: गुरपाल सिंह इंडियन 

धान की सीधी बिजाई करें, 30% पानी, ईंधन और मजदूरी बचाएं: गुरपाल सिंह इंडियन 

आप नेताओं ने खेतीबाड़ी अफसर से की बैठक,कहा सीधी बिजाई के लिए किसानो को करे जागरूक 

कपूरथला/चन्द्र शेखर कालिया: धान की सीधी बिजाई के लिए किसानो को जागरूक करने के लिए आम आदमी पार्टी के नेताओं ने जिला प्रधान गुरपाल सिंह इंडियन के नेतृत्व में खेतीबाड़ी अफसर सुरिंदर कुमार से मुलाकात कर एक बैठक की।इस बैठक में जिला प्रधान गुरपाल सिंह इंडियन ने खेतीबाड़ी अफसर सुरिंदर कुमार को किसानो को धान की सीधी बिजाई के लिए कैंप लगाकर जागरूक करने के लिए कहा गया।

इस दौरान खेतीबाड़ी अफसर सुरिंदर कुमार ने आप नेताओं को विस्वाश दिलाया की सर्कार के आदेशों अनुसार जगह जगह कैंप लगाकर किसानो को धान की सीधी बिजाई के लिए जागरूक किया जायेगा। गुरपाल सिंह इंडियन ने कहा कि प्रदेश के कई जिलों में लगातार पानी का जलस्तर कम हो रहा है। कई जिलों को रेड जोन घोषित किया जा चुका है। यानी कि कई जिलों में पानी इतना नीचे जा चुका है कि जिससे कई जिले ये रेड जोन घोषित करने पड़े। उन्होंने कहा कि इस लिए सरकार पानी बचाने के लिए किसानों को धान की सीधी बिजाई के लिए जागरूक कर रही है। सीधी बिजाई करने वाले किसान को प्रोत्साहन राशि 1500 एकड़ दी जा रही है। उन्होंने कहा कि सीधी बुवाई से करीब पंद्रह से बीस प्रतिशत पानी की बचत होती है। इससे खेती खर्चा में करीब पचीस से तीन हजार रुपये प्रति एकड़ कटौती होती है।

उन्होंने किसानों को धान की प्रमुख किस्में पीआर 130, पीआर131, पीआर 128, पीआर 129 की बुर्वाइ के लिए एक से 15 जून और पीआर 126 व बासमती 1121 व पूसा बासमती 1509 और पंजाब बासमति सात की बुवाई का समय 16 जून से 30 जून तक है।धान की सीधी बुवाई को भारी जमीनों में करना चाहिए। एक एकड़ के लिए दस किलो बीज को दस से बारह घंटे तक पानी में भिगोकर रखे, फिर दो-तीन घंटे छाव में रखें। इसके बाद दस किलो बीज को तीस ग्राम स्प्रिट दवा को तीस मिलीलीटर पानी में घोलकर बीज को उपचारित करें। फिर धान की ड्रिल से बीज को जमीन में बिजाई करें। उन्होंने कहा कि धान की परंपरागत बिजाई की तुलना में में कम पानी खर्च होता है। साथ ही ईंधन, समय और खेती की लागत के नजरिए से भी फायदेमंद है। सीधी बिजाई तकनीक पानी के किफायती उपयोग तथा मिट्टी का समुचित ध्यान रखने की प्रेरणा देती है। जीवाश्म ईंधन जैसे डीजल, पेट्रोल का अधिक उपयोग पर्यावरण को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करता है। ऐसे ईंधन का उपयोग परंपरागत बिजाई की तुलना में कम होता है। जमीन एवं जल-संसाधन संरक्षण के साथ-साथ मजदूरी व ऊर्जा की बचत होगी। इस अवसर पर जगजीवन सिंह भिंडर, वीरकमलजीत सिंह, सीनियर नेता कुलविंदर सिंह चाहल, सीनियर नेता गुरपेज सिंह ओलख, यूथ विंग सुरजीत सिंह विक्की आदि उपस्थित थे।