बददी: सरकार के नियमों की हो रही अनदेखी

बददी: सरकार के नियमों की हो रही अनदेखी
बददी/सचिन बैंसल: बद बीबीएन में  चंडीगढ़ और पंचकूला के साथ लगते एरिया के स्कूलो के अध्यापकों, डॉक्टरों व अन्य सरकारी कर्मचारियों ने लोकल लोगों से किराए के मकान दिखा रखे है लेकिन स्वयं वह  छुट्टी होते वह पंचलकूला और चंडीगढ़ भाग जाते है। पहले सरकार ने 8 किमी के दायरा रखा हुआ था लेकिन अब 30 किमी कर दिया है लेकिन चंढीगढ़ बीबीएन से तीन किमी से  भी अधिक बैठता  है।  यही नही अधिकांश स्कूलों के प्रधानाचार्य व डाक्टर जब स्वयं इस नियम को तोड रहे है तो उनके नीचे कार्य करने वाले अध्यापकों व अन्य कर्मचारियों क्यो इस शर्त का पालन करेंगे। 
बीबीएन में बरोटीवाला, बद्दी, झाड़माजरी, भटोली कलां, मधाला, चलानामजरा, मानपुरा , खेड़ा, लोधी माजरा, नालागढ़, मझोली, राजपुरा, भाटियां समेत दो  दर्जन से अधिक स्कूल ऐसे है। जहां पर अध्यापक चंडीगढ़ से आते है। इन अध्यापकों ने चंढीगढ़ में अपने मकान बनाए है। शिक्षा विभाग ने इंस्पेक्शन के लिए अलग से उपनिदेशक रखा हुआ है जो समय समय पर स्कूलों की जांच करता है लेकिन हैरानी की बात है कि बाहर से आने वाले यह अध्यापक कभी  कभार जाम व अन्य कारणों के चलते देरी से भी पहुंचते है लेकिन आज तक किसी भी अध्यापक पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। तो स्कूलो में बायो मेट्रिक मशीन लगने का भी कोई औचित्य नहीं है। 
मजेदार बात यह है कि इंस्पेक्शन उपनिदेशक की आंखो में धूल झोंक लोकल स्तर पर किराया कमरा दिखा देते है,जबकि वास्तव में तीन बजे के बाद कोई भी अध्यापक स्कूल के आपपास नहीं दिखता है।  यह अध्यापक पिछले दो दशकों से बीबीएन के स्कूलो में भी घूम रहे है। जबकि यह यहां के रहने वाले नहीं है। ऊंची राजनीति पहुंच और उच्च अधिकारियों से मजबूत पकड़ के बावजूद यह बीबीएन के स्कूलो में अपना स्थानांतरण कराने में सफल रहते है सरकार चाहे किसी भी दल की क्यों न हो। उधर, उपनिदेशक जगदीश नेगी ने बताया कि उन्हें भी  मालूम है कि अध्यापक चंडीगढ़ से आते है लेकिन इन अध्यापकों ने लोकल लोगों से कमरे किराये पर दिखाए हुए है जिससे वह जानते हुए भी इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर पा रहे है। बायो मैट्रिक मशीन की रिपोर्ट सीधी सचिवालय में जाती है। इसलिए अगर कोई देरी से आता है तो उन्हें इसकी सूचना नहीं है।