ऊनाः क्षेत्रीय अस्पताल में गर्भवती की मौत

ऊनाः क्षेत्रीय अस्पताल में गर्भवती की मौत
पेट में पल रहे बेटे ने भी दम तोड़ा

ऊना/ सुशील पंडित: ऊना के क्षेत्रिय अस्पताल में एक गर्भवती। प्रवासी महिला की इलाज के दौरान मौत हो गई। महिला नौ माह की गर्भती थी और उसे प्रसव पीड़ा होने पर अस्पताल लाया गया था। महिला के पति जतिंदर कुमार ने बताया कि रविवार रात 10 बजे उसे जब दर्द शुरू हुआ तो हम सीधे क्षेत्रिय अस्पताल पहुंचे। यहां अस्पताल के स्टाफ ने तीन घंटे उसके टेस्ट में ही निकाल दिए। अस्पताल वालों का कहना था कि उसका ब्लड प्रेशर हाई हो गया है। हमने दवा लाकर दी और दवा देते ही स्टाफ ने कहा अब ब्लड प्रेशर बहुत गिर गया है।


बाद में डॉक्टर ने कहा कि मरीज को खून की कमी है। खून के दो यूनिट लाए गए लेकिन कोई नहीं चढ़ पाया। रात्रि डेढ़ बजे स्टाफ ने कहा कि आपके मरीज की मौत हो गई है। हमें तो समझ में नहीं आ रहा कि उसे हुआ क्या है। जतिंदर का कहना है कि मौत के बाद अस्पताल पोस्टमॉर्टम करने पर अड़ा रहा। हमने उनसे कहा कि हमें चीरफाड़ नहीं करवानी। मगर अस्पताल ने कहा कि जाकर एसडीएम से लिखवा लो। हालांकि दबाव बनने के बाद अस्पताल ने मृतका अंशुल कुमारी की डेड बॉडी का सिजेरियन किया।

सिजेरियन के बाद गर्भ में मृतक बच्चे को बाहर निकाला गया। शोक में डूबे जतिंदर ने बताया कि गर्भ में बेटा पल रहा था। दोनों मां बेटे के शव अस्पताल ने परिवार को सौंप दिए हैं। जिनका सोमवार शाम बाथड़ी में संस्कार कर दिया गया। अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि मौत के कारणों को जानने के लिए कमेटी का गठन किया जाएगा। कमेटी की जांच के बाद ही पता चल पाएगा कि मौत किस वजह से हुई। 

अभी तक जच्चा बच्चा यूनिट शुरू नहीं हो पाया है

हालांकि यह पहला मामला नहीं है जब क्षेत्रिय अस्पताल ऊना में किसी गर्भवती महिला की मौत हुई है। अस्पताल की बगल में ही केंद्र सरकार द्वारा जारी फंड से जच्चा बच्चा के लिए मदर एंड चाइिल्ड केयर यूनिट बनाया जा रहा है। लेकिन अभी तक उस यूनिट को चालू नहीं किया जा सका है। यह भी पता चला है कि पहले महिला को पीजीआई रेफर करने की बात हुई थी। मगर अस्पताल के पास एंबुलेंस नहीं थी। महिला पीजीआई नहीं जा पाई। हिमाचल प्रदेश का सेहत विभाग अभी तक अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो पाया है।

अभी भी राज्य के मरीज बाहरी राज्यों के अस्पतालों पर निर्भर हैं। किसी भी जिला अस्पताल में अभी तक आईसीयू स्थापित नहीं हो पाए हैं। अकेले आईसीयू के कारण ही हिमाचल के असंख्य लोग पीजीआई जाते समय रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं।