अध्ययन में खुलासा: विदेश जाने के बाद 7 सालों में 74% ने छोड़ा पंजाब

अध्ययन में खुलासा: विदेश जाने के बाद 7 सालों में 74% ने छोड़ा पंजाब

चंडीगढ़ः पंजाब छोड़कर दूसरे देशों में बसने वालों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक्स एंड सोशियोलॉजी के ताजा अध्ययन में इसका खुलासा हुआ है। अध्ययन में सामने आया कि पंजाब छोड़कर जाने वालों में 42 फीसदी लोगों का पसंदीदा देश कनाडा है। इसके बाद दुबई 16, ऑस्ट्रेलिया 10, इटली 6, यूरोप और इंग्लैंड में 3-3 फीसदी लोग पहुंच रहे हैं। आश्चर्यजनक रूप से पंजाब छोड़कर दूसरे देश जाने वालों में 74 फीसदी लोग वर्ष 2016 के बाद बाहर गए हैं। अध्ययन टीम में प्रोफेसर शालिनी शर्मा, प्रोफेसर मंजीत कौर और असिस्टेंट फ्रोफेसर अमित गुलेरिया शामिल रहे। राज्य के 13.34 फीसदी ग्रामीण परिवारों में से कम से कम एक सदस्य पलायन कर चुका है।

इस प्रवास के लिए ज्यादातर लोग अपने घर संपत्ति, सोना और ट्रैक्टर तक बेच रहे हैं। रोजगार के अवसरों में कमी, भ्रष्ट व्यवस्था और नशीली दवाओं का बढ़ता प्रचलन प्रवासन के मुख्य कारण  हैं। अध्ययन से पता चला कि अध्ययन वीजा पर विदेश जाने वालों में महिलाओं की संख्या 65% जबकि पुरुषों की संख्या 35% थी। इस मामले में महिलाएं पुरुषों से आगे हैं। प्रति प्रवासी परिवारों पर औसत 3.13 लाख रुपए का कर्ज...अध्ययन के अनुसार लगभग 56 फीसदी परिवारों ने अपने बच्चों को विदेश भेजने के लिए पैसे उधार लिए। प्रवासी परिवारों द्वारा उधार ली गई औसत राशि 3.13 लाख रुपए प्रति परिवार थी। प्रति प्रवासी परिवार की कुल उधारी में गैर संस्थागत उधारी 38.8 फीसदी और संस्थागत धनराशि 61.2 फीसदी थी।

राज्य स्तर पर प्रवास के लिए लगभग 14,342 करोड़ रुपये उधार लिए गए। अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि इस पलायन को रोकन के लिए कौशल विकास, उद्यमिता और व्यावसायिक प्रशिक्षण के माध्यम से रोजगार सृजन और मानव पूंजी में निवेश की तत्काल आवश्यकता है। इसके अलावा सरकार को अलाभकारी और आर्थिक रूप से सुस्त कृषि क्षेत्र को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है जो सरकारी हस्तक्षेप और समर्थन के बिना संभव नहीं। 22 जिलों के करीब 9,492 घरों का सर्वेक्षण...अध्ययन में 22 जिलों के 44 गांवों के करीब 9,492 घरों में से कुल 640 प्रवासियों और 660 गैर प्रवासी परिवारों का साक्षात्कार लिया गया। प्रवासन के आंकड़ों का विश्लेषण करने के लिए वर्ष 1990 से सितम्बर 2022 के मध्य प्रवासन पर विचार किया गया।