फिर मंडरा सकता है बिजली संकट, यूनियन ने प्रदर्शन करने की दी चेतावनी

फिर मंडरा सकता  है बिजली संकट, यूनियन ने प्रदर्शन करने की दी चेतावनी
फिर मंडरा सकता है बिजली संकट

चंडीगढ़ः इलेक्ट्रिसिटी इम्प्लॉइज फेडरेशन ऑफ इंडिया (EEFI) ने कर्मचारियों के खिलाफ चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा की गई सख्त कार्रवाई के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन करने की चेतावनी दी है। इस प्रदर्शन से एक बार फिर बिजली का संकट खड़ा हो सकता है। ईईएफआई की राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में यह फैसला लिया गया है। चंडीगढ़ के बिजली कर्मियों पर एफआईआर दर्ज करने व कुछ को नौकरी से निकालने की सख्त कार्रवाई के खिलाफ व्यापक प्रदर्शन हो सकता है। ईईएफआई ने मांग की है कि बदले की भावना से कर्मचारियों पर की गई इस सख्त कार्रवाई को वापस लिया जाए।

ऐसा न करने की सूरत में विरोध प्रदर्शन की चेतावनी दी गई है। गोपाल दत्त जोशी ने कहा कि चंडीगढ़ में ईईएफआई की राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस 13 से 15 अक्तूबर तक चल रही है। आज इसका अंतिम दिन है। इलेक्ट्रिसिटी विभाग शहर में हल्का विरोध प्रदर्शन कर रहा है। इसे जल्द व्यापक रूप देने के लिए कॉन्फ्रेंस में दिन निर्धारित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रशासन ने खुद फरवरी में कुछ जगहों पर बिजली प्रभावित करवाकर यूनियन को बदनाम किया। खराब मौसम के चलते भी बिजली प्रभावित हुई थी। चंडीगढ़ में बिजली विभाग के निजीकरण के विरोध में भी कर्मचारियों ने 22 से 24 फरवरी तक प्रदर्शन किया था। इस दौरान शहर में बिजली की समस्या खड़ी हो गई थी। मामला पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट तक जा पहुंचा था। चंडीगढ़ प्रशासन ने मामले में सख्त कार्रवाई करते हुए कुछ ठेका कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी थीं। वहीं कुछ पर एफआईआर दर्ज करने की सिफारिश की थी और कुछ को कारण बताओ नोटिस जारी किए थे।

ईईएफआई के उप प्रधान और मीडिया इंचार्ज सुभाष लांबा के मुताबिक, मुनाफे में चल रहे चंडीगढ़ बिजली विभाग को चंडीगढ़ प्रशासन ने निजी हाथों में देने का फैसला लिया था। इसके खिलाफ कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया था। प्रशासन ने 23 फरवरी को कर्मचारी यूनियन के साथ एक समझौता किया था, जिसके बाद कर्मचारी काम पर लौट आए थे। शहर की पावर सप्लाई भी सामान्य हो गई थी। लांबा ने कहा कि प्रशासन ने समझौते की पालना करने की बजाय ईएसएमए के तहत 143 कर्मचारियों पर एफआईआर दर्ज करवाई। इनमें यूटी पावरमैन यूनियन के प्रधान ध्यान सिंह व महासचिव गोपाल दत्त जोशी का भी नाम शामिल था। वहीं 17 ठेका कर्मियों को नौकरी से निकाल दिया गया था। 129 कर्मचारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए थे। ईईएफआई ने प्रशासन पर किए वादों से पीछे हटने का आरोप लगाया है।