समाजसेवी विश्वजीत पटियाल ने कलरूही में हो रही महा शिव पुराण कथा के पांचवें दिन में की पूजा

समाजसेवी विश्वजीत पटियाल ने कलरूही में हो रही महा शिव पुराण कथा के पांचवें दिन में की पूजा
शिव महापुराण कथा के पांचवें दिन शिव और पार्वती विवाह का मंचन किया
ऊना/ सुशील पंडित : जिला ऊना के विधानसभा क्षेत्र गगरेट के गांव कलरूही के पंचमुखी शिव मंदिर से हो रही शिव महापुराण कथा के पांचवें दिन आचार्य गोपाल स्वरूप शास्त्री ने शिव और पार्वती विवाह का मंचन किया। शिव महापुराण कथा के पांचवें दिन समाजसेवी विश्वजीत पटियाल ने सुबह पूजा अर्चना की, आचार्य गोपाल स्वरूप शास्त्री ने कथा को आगे बढाया और बताया शिव विवाह की कथा सुनाई और कहा कि आत्मा का परमात्मा से मिलन ही शिव में लीन हो जाना है। भगवान शंकर वैराग्य के देवता माने गए है, परंतु शिव ने विवाह कर संसार को गृहस्थ आश्रम में रहकर भी वैराग्य व योग धर्म का अनुशरण करने का तरीका दिया है। कथा वाचक ने कहा कि शिव परिवार में भगवान के वाहक नन्दी, मां पार्वती का शेर, गणेश का मूसक और कार्तिकेय का वाहन मोर है। शिव के गले मे सर्प रहते हैं, जो सभी विपरीत विचारधारा के बीच सामंजस्य रखना ही शिव पुराण सिखाता है। भगवान के विवाह के वर्णन में मैनादेवी व हिमालय राज की पुत्री के रूप मे मां पार्वती का जन्म लेना। प्रारम्भिक काल मे शिव की तपस्या करना, उसी दौरान तारका सुर के आतंक को खत्म करने के लिए शिव का तन्द्रा भंग हुई। तब जाकर शिव पार्वती का विवाह हुआ। इस कथा में भगवान शंकर की बारात भी निकाली गई। विवाह के दाैरान माता-बहिनो ने शिव-पार्वती विवाह पर मंगल गीत गाए गए तो पांडाल में मौजूद श्रद्धालुओं ने भजनों पर नृत्य कर शिव-पार्वती विवाह का आनंद लिया। इस पावन मौके पर अयोध्या से आए हुए श्री राम जी के अक्षत को लेकर भी प्रभु राम भक्त भी पहुंचे और सभी ने श्री राम अक्षत और प्रभु भक्तों ने का जयकारों से भव्य स्वागत किया।