पापी से पापी आत्मा को भी मुक्त करती है श्रीमद्भागवत कथा : गणेश दत्त शास्त्री 

पापी से पापी आत्मा को भी मुक्त करती है श्रीमद्भागवत कथा : गणेश दत्त शास्त्री 

ऊना/सुशील पंडित : श्रीमद् भागवत कथा ही एकमात्र ऐसी कथा है इसके अंदर जीवित व्यक्ति के साथ साथ मरे हुए व्यक्ति को भी मुक्त करने का सामर्थ है जिला ऊना के अंतर्गत आते गांव बदोली में श्रीमद् भागवत कथा के  प्रथम दिवस में वक्ता गणेश दत्त शास्त्री जी ने कहा श्रीमद् भागवत कथा ही एकमात्र ऐसी कथा है इसके अंदर जीवित व्यक्ति के साथ साथ मरे हुए व्यक्ति को भी मुक्त करने का सामर्थ है। किसी व्यक्ति ने कोई भी कितना भी पाप किया हो, जीवन भर कितनी भी गलत कार्यों में लिप्त रहा हो, ऐसे व्यक्ति के मृत्यु के पश्चात यदि उसके नाम से श्रीमद भागवत कथा कर दी जाए तो वह भी मुक्त हो जाता है।
भागवत कथा के अंदर गोकर्ण धुंधकारी संवाद में हमें यही बताया गया कि जीवन भर धुंधकारी ने पाप किया और बाद में गोकर्ण ऋषि ने उनके नाम से श्रीमद् भागवत कथा का गान किया और वह मुक्त हुए। शास्त्री जी ने कहा कि जहां पर भागवत कथा होती है वहां पर उस समय में सारे तीर्थ सारी नदियां सारे देवता विचरण करते हैं।

शास्त्री जी ने कहा श्रीमद् भागवत कथा कल्पतरू की तरह है जिसकी शरण में बैठने पर हमारी सारी मनोकामनाएं भागवत कथा पूर्ण करती है। शास्त्री जी ने कहा कि भागवत कथा में जो व्यक्ति जिस मंशा के साथ बैठता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। लेकिन व्यक्ति की भावना पवित्र हो और संसार के मंगल की कामना उसके मन में हो ऐसे व्यक्ति की मनोकामना भागवत कथा से पूर्ण होती है। श्रीमद् भागवत कथा के महत्व को समझाते हुए कहा कि भागवत कथा में जीवन का सार तत्व मौजूद है आवश्यकता है निर्मल मन और स्थिर चित्र के साथ कथा श्रवण करने की भागवत श्रवण से मनुष्य को परमानंद की प्राप्ति होती है भागवत श्रवण से मुक्ति मिलती है चित्त के साथ ही श्रीमद् भागवत कथा सुननी चाहिए। भागवत श्रवण मनुष्य के संपूर्ण क्लेश को दूर कर भक्ति की ओर अग्रसर करती है उन्होंने अच्छे और बुरे कर्मों की परिणीति को विस्तार से समझाते हुए भगवान में मन लगाने का आह्वान किया।