इस जिले में खुला पंजाब का पहला चलता-फिरता स्कूल, देखें तस्वीरें

एक टीचर, दो आंगनवाड़ी वर्कर्स और एक हेल्पर नियुक्त

इस जिले में खुला पंजाब का पहला चलता-फिरता स्कूल, देखें तस्वीरें
इस जिले में खुला पंजाब का पहला चलता-फिरता स्कूल

संगरूरः झुग्गी-बस्तियों में रहने वाले जरूरतमंदों के बच्चों तक शिक्षा की रोशनी पहुंचाने के लिए जिला प्रशासन संगरूर ने पूरे पंजाब में अपनी तरह का पहला और अभिनव कदम ‘ज्ञान किरण दी छोह’ शुरू किया है। इस कार्यक्रम के तहत संगरूर विधानसभा क्षेत्र से विधायक नरेंद्र कौर भराज एवं उपायुक्त जितेंद्र जोरवाल द्वारा शैक्षणिक भ्रमण के लिए विशेष बस में लगभग 30 बच्चों के पहले जत्थे को झंडी दिखाकर रवाना किया गया। इस बस को खास तरीके से डिजाइन किया गया है, जिसे ‘स्कूल ऑन व्हील्स’ का नाम दिया गया है।
 


आमतौर पर बच्चे स्कूल तक जाते हैं लेकिन पंजाब के संगरूर में स्कूल खुद बच्चों के घर तक जा रहा है। इस खास स्कूल की शुरुआत पंजाब के मुख्यमंत्री सरदार भगवंत सिंह मान के अपने होम डिस्ट्रिक्ट से शुरू की है. इस स्कूल का आइडिया जिला प्रशासन का है। जिला प्रशासन की कोशिश है कि झुग्गी-झोपड़ियों या कच्ची बस्तियों में रहने वाले बच्चों को उचित शिक्षा मिल सके।

एक लाइब्रेरी और बच्चों को पढ़ाने के लिए किताबें मौजूद

झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले बच्चे के लिए जिला प्रशासन ने स्कूल ऑन व्हील्स नाम का यह प्रोजेक्ट शुरू किया है। जिसमें एक बस में चलता-फिरता स्कूल बनाया गया है। इस स्कूल में एक टीचर, दो आंगनवाड़ी वर्कर्स और एक हेल्पर को नियुक्त किया गया है, साथ ही वूमेन एंड चाइल्ड विभाग की ओर से अधिकारी को भी जिम्मेदारी दी गई है। यह बस एक चलता फिरता स्कूल है, जिसमें एक लाइब्रेरी है, बच्चों को पढ़ाने के लिए किताबें हैं। बस को अंदर से इस तरीके से डिजाइन किया गया है कि छोटे बच्चों को आराम से चित्रों के माध्यम से पढ़ाया जा सके। 

बच्चों के घर तक जाता है स्कूल 

सुबह 8:00 बजे यह स्कूल बस स्लम एरिया में जाती है और वहां से बच्चों को बिठाया जाता है। बच्चों को सेटल करके उनकी पढ़ाई शुरू हो जाती है। स्कूल ऑन व्हील्स में 30 बच्चे हैं और बच्चों के परिवार वाले भी बच्चों को स्कूल में जाने पर बेहद खुश हैं। स्लम एरिया में रहने वाले ये बच्चे पहले सड़कों पर भीख मांगते थे। पर अब पढ़ रहे हैं। ऐसे भी बहुत से बच्चे हैं जिनकी रुचि पढ़ाई में नहीं है। उनके लिए खास तरह से पढ़ाने का तरीका ढूंढा गया है।

बच्चों को उनकी रुचि के हिसाब से कभी बस में, कभी सड़क के किनारे तो कभी बाग-बगीचों में ले जाकर पढ़ाया जाता है। जिले के डिप्टी कमिश्नर, जतिंदर योरवल ने बताया कि जिला प्रशासन का यह पहला पायलट प्रोजेक्ट है। जिसमें हमने एक ऐसा स्कूल तैयार किया है जो ऑन रोड है। बच्चों की सुरक्षा का खास ध्यान रखा जाता है। अगर यह प्रोजेक्ट हमारा कामयाब रहा तो हम आने वाले समय में संगरूर में पांच ऐसे और स्कूल लेकर आएंगे।