कुटलैहड में सैली-हंडोला सड़क टेंडर की उच्च स्तरीय जांच करवाएं मुख्यमंत्री: वीरेंद्र कंवर 

कुटलैहड में सैली-हंडोला सड़क टेंडर की उच्च स्तरीय जांच करवाएं मुख्यमंत्री: वीरेंद्र कंवर 

ऊना/ सुशील पंडितः पूर्व पंचायती और राज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि कांग्रेस ने जो 10 गारंटियां जनता को देंगे। महिलाओं को 1500 रुपए देंगे। समेत सारी योजनाएं फिल्हाल पूरी करने के लिए कोई प्रयास नहीं किए यह बातें एक प्रेस वार्ता के दौरान पूर्व पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहे। उन्होंने कहा कि कुटलैहड़ क्षेत्र से जो विधायक विस में जीतकर गए विधायक के जीतने के बाद पहली बार विधानसभा सत्र के दौरान यह उम्मीद जताई जा रही थी कि वह कुटलैहड़ हल्के के विकास के लिए आवाज उठाएंगे। लेकिन हैरत का विषय है कि विधायक कुटलैहड़ के विकास की चिंता की बजाए अपने व्यक्तिगत विषयों को विस में उठाया। कुटलैहड़ की जनता का धन्यवाद करता हूं कि मेरा घर गिरा दिया गया।

उसके चलते मैं विधायक बना हूं। जब इसकी असलियत में जांच कराई गई ते पता चला कि जिस जगह विधायक का घर बना है। वहां की विभाग ने निशानदेही करवाई हैं। उसमें वह जगह वन विभाग की निकली हैं। जबकि इस जांच के बाद कुछ भी एक्शन नहीं लिया गया। हालांकि उन्होंने तहसीलदार के पास अपील की। यदि उनका मकान गिरा है तो इसकी जांच कराई गई। बकरी खरीद में घोटाला, झील में मछली का बीज कम डाला गया। उन्होंने सीएम से मांग की हैं कि जिन विषयों को विधायक देवेंद्र भुटटों उठा रहे हैं। इसके लिए विधायक को विस में माफी मांगनी चाहिए। जबकि सीएम को इस मामले की उच्चस्तरीय जांच करवानी चाहिए। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में काम कराना तो दूर की बात अब तो वन, खनन माफिया सरेआम अपनी गतिविधियों को अंजाम दे रहा है। सरकारी क्षेत्र का जमकर नुकसान किया जा रहा हैं। जबकि शराब माफिया की जड़े अब तो हरेक गांव तक पहुंच चुकी हैं। आजादी के बाद से अब तक 100 दिनों के अंदर खैर के पेड़ काटे गए हैं। यह बड़ी चिंता का विषय हैं। बडूही में एक क्रेशर के पास साइट पर बड़े-बड़े ढेर लगे हुए थे। माइनिंग किसी ओर जगह से की गई। जबकि बाद में राजनीतिक रुप से इसे दबा दिया गया। जबकि यह मामला ईडी का बनता हैं। मुख्यमंत्री इस मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन करें।

कंवर ने कहा कि जो भाजपा कार्याकाल के टेंडरों को रदद किया जा रहा हैं। सैली-हंडोला सड़क निर्माण कार्य के लिए वन विभाग से क्लीयरेंस करवाया गया। उसके लिए नाबार्ड से 12 करोड़ रुपए का बजट का प्रावधान कराया गया। पहला टेंडर करवाया और आठ लोग आए। लेकिन किसी कारणवश वह टेंडर अवार्ड नहीं हुआ। उसके बाद वह टेंडर लगा तो उसे 7 करोड़ 70 लाख रुपए का लगा। कोई कोर्ट में चला गया तो टेंडर रदद हो गया। तीसरी दफा  टेंडर लगा तो उसमें दो ठेकेदार आए, काम पूल हो गया। बाद में अधिकारियों पर राजनीतिक दबाब के बावजूद टेंडर रदद हो गया। चौथे टेंडर में 11 करोड़ 30 लाख 3 करोड़ 60 लाख रुपए बढ़ गया। इसमें कौन नेता शामिल हैं। उन्होंने सीएम से मांग की है कि इस ठेके के आवंटन को लेकर इसकी जांच करवाएं। इसके पीछे जो लोग हैं बेनकाब हो जाएं। विधायक भी इस बात को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए टेंडर को रदद करवाएं। अन्यथा इन दाेनों विषयाें को लेकर हाईकोर्ट में जाएंगे।