पंजाबः DGSE ऑफिस के बाहर शिक्षा विभाग के कर्मचारियों का सरकार के खिलाफ प्रदर्शन 

पंजाबः DGSE ऑफिस के बाहर शिक्षा विभाग के कर्मचारियों का सरकार के खिलाफ प्रदर्शन 

मोहालीः पंजाब सरकार के खिलाफ एक बार फिर से शिक्षा विभाग के कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। दरअसल, शिक्षा विभाग में ठेके पर काम कर रहे नॉन टीचिंग स्टाफ ने आज मोहाली में महानिदेशक स्कूली शिक्षा ऑफिस के बाहर सरकार के खिलाफ धरना लगाया है। स्टाफ का आरोप है कि सरकार पिछली सरकारों की तर्ज पर उन्हें एक साल से ठग रही है। न उन्हें पक्के कर रही है न वेतन विसंगति दूर कर रही है। शिक्षा विभाग के 8736 अध्यापकों और कर्मचारियों में वह भी शामिल हैं जिन्हें पिछले साल से रेगुलर करने का प्रोसेस चल रहा है। पिछले साल मुख्यमंत्री भगवंत मान ने शिक्षक दिवस के अवसर पर रेगुलर करने की घोषणा की थी। लेकिन सभी प्रकार की फॉर्मैलिटी पूरी होने के बावजूद अभी तक उन्हें रेगुलर नियुक्ति पत्र नहीं मिला है।

पंजाब सरकार की शिक्षा विभाग को छोड़कर दूसरे विभागों के कर्मचारियों को रेगुलर करने की आई नई पॉलिसी पर पर बोलते हुए कर्मचारी नेताओं ने कहा कि सरकार कर्मचारियों को रेगुलर करने के लिए पॉलिसी पर पॉलिसी ला रही है, लेकिन राज्य में अभी तक रेगुलर एक कर्मचारी भी नहीं हुआ है। एक भी कर्मचारी की रेगुलर का नियुक्ति पत्र नहीं मिला है। ठेका मुलाजिम एक्शन कमेटी पंजाब के नेता आशीष जुलाहा, हरप्रीत सिंह कहा कि सरकार एक तरफ दावे कर रही है कि शिक्षा विभाग के 8736 कर्मचारियों को रेगुलर कर दिया गया है, जबकि अभी तक नियुक्ति पत्र एक के भी हाथ में नहीं आया है। कहा कि सरकार के सारे दावे हवा हवाई हैं। पहली पॉलिसी के 9 माह बीतने के बाद भी कोई कर्मचारी रेगुलर नहीं हुआ है।

प्रवीण शर्मा, कुलदीप, आशीष जुलाहा और चमकौर सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री ने पहले 5 सितंबर को 8736 कर्मचारियों को रेगुलर करने की घोषणा की। इसके बाद लोहड़ी पर 6 हजार और कच्चे कर्मचारियों को रेगुलर करने की घोषणा कर दी। यह सिलसिला यहीं नहीं थमा। इसके बाद 21 फरवरी को 14417 कच्चे मुलाजिमों को रेगुलर करने की सीएम ने घोषणा कर दी। कर्मचारी नेताओं ने कहा कि इसके बाद सरकार दावों पर आ गई कि उन्होंने शिक्षा विभाग के 8736 कर्मचारी रेगुलर कर दिए हैं, लेकिन कर्मचारी असमंजस में हैं कि उनके हाथ में अभी तक ब्लैक एंड व्हाइट में कोई आदेश तो है ही नहीं। राज्य के मुख्यमंत्री भी रिवायती पार्टियों की तरह कर्मचारियों के हितों से खिलवाड़ कर रहे हैं।