इस सीट से पार्टियों ने चारों प्रमुख प्रत्याशी बाहरी उतारें, फंसा पेच

इस सीट से पार्टियों ने चारों प्रमुख प्रत्याशी बाहरी उतारें, फंसा पेच

हिसारः हरियाणा में हिसार और सिरसा लोकसभा में कांग्रेस, भाजपा, जजपा और इनेलो ने ऐसे प्रत्याशी उतारे हैं, जिनके वोट तक उन क्षेत्रों में नहीं हैं, जहां वे अपने लिए लोगों से वोट मांग रहे हैं। कांग्रेस ने सिरसा से कुमारी सैलजा को मैदान में उतारा है। वह हिसार की रहने वाली है और डाबड़ा चौक स्थित उनका आवास है। हिसार के उकलाना में उनका पैतृक आवास है। इसी प्रकार हिसार से कांग्रेस प्रत्याशी जयप्रकाश का वोट कैथल के कलायत में है। वहीं हिसार से भाजपा प्रत्याशी रणजीत चौटाला का वोट सिरसा में है। सिरसा में बरवाला रोड स्थित राम कालोनी में उनका आवास है। रणजीत चौटाला का वोट भी यहीं का है। इसी तरह नैना चौटाला और सुनैना चौटाला के वोट भी सिरसा के ही बने हुए हैं।

वोटिंग वाले दिन पहले प्रत्याशी अपने-अपने बूथों पर वोट डालने जाएंगे। इसके बाद वह अपनी लोकसभा में आएंगे। ऐसा पहली बार नहीं है कि जब किसी पार्टी ने क्षेत्र में बाहर से प्रत्याशी उतारे हों। मगर अबकी बार सिरसा और हिसार में प्रत्याशियों के बाहरी होने का भी मुद्दा बना हुआ है। हालांकि हिसार में सभी प्रमुख पार्टियों के सारे प्रत्याशी बाहरी हैं तो लोगों के पास उनके अलावा कोई विकल्प नहीं है। कुमारी सैलजा अपने पिता चौ. दलबीर सिंह के निधन के बाद साल 1988 में सियासत में सक्रिय हुईं। उनके पिता के निधन के बाद 1988 में हुए उपचुनाव में कुमारी सैलजा ने सिरसा लोकसभा सीट से कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन कामयाबी नहीं मिलीं। सैलजा 1991 और 1996 में सिरसा से, जबकि 2004 और 2009 में अंबाला से सांसद चुनी गईं।

सैलजा ने अब तक के अपने 35 वर्ष के सियासी सफर में करीब 7 संसदीय चुनाव लड़े, लेकिन एक बार भी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा। वे 1988, 1991, 1996 और 1998 में सिरसा से जबकि 2004, 2009 और 2014 में अंबाला से चुनाव लड़ चुकी हैं। कुमारी सैलजा को सितंबर 2019 में हरियाणा प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया गया। वे इस पद पर 20 अप्रैल 2022 तक रहीं। कांग्रेस उम्मीदवार जयप्रकाश उर्फ जेपी ने आज तक चार चुनाव जीते हैं जबकि तीन बार वह हार चुके हैं। कलायत के रहने वाले जयप्रकाश जेपी ने हिसार से ही अधिकत्तर चुनाव लड़े हैं। इस बार आठवीं दफा चुनाव मैदान में है। जयप्रकाश वर्ष 1989 में लोकदल के टिकट पर पहली बार सांसद चुने गए।

1996 में वह चौधरी बंसीलाल की पार्टी हरियाणा विकास पार्टी (हविपा) से सांसद चुने गए। वर्ष 2004 में जयप्रकाश ने हिसार सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और सांसद बने। जयप्रकाश को 1991, 1998, 2009 और 2011 के चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। मूलत: सिरसा जिले से ताल्लुक रखने वाला ताऊ देवीलाल का परिवार हिसार को अपना दूसरा घर मानता है। ताऊ देवीलाल के चौटाला परिवार ने हिसार सीट पर कई नए समीकरण बनाए और बिगाड़े। सबसे पहले 1984 के लोकसभा चुनाव में लोकदल की टिकट पर ओमप्रकाश चौटाला ने कांग्रेस के चौधरी बीरेंद्र सिंह के सामने चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। 1998 में चौधरी रणजीत चौटाला ने हिसार से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा लेकिन हरियाणा लोकदल राष्ट्रीय के प्रत्याशी सुरेंद्र सिंह बरवाला से हार गए। 2011 में हिसार में हुए उपचुनाव में इनेलो के डा. अजय सिंह चौटाला उतरे लेकिन वह भजनलाल परिवार की हरियाणा जनहित कांग्रेस (हजकां) के उम्मीदवार कुलदीप बिश्रोई से हार गए।