गुग्गा जाहिर बीर के सेवक छत्र पूजा करके गुणगान करने निकले नंगे पांव 

गुग्गा जाहिर बीर के सेवक छत्र पूजा करके गुणगान करने निकले नंगे पांव 
आठ दिन गांव गांव गाएंगे गुग्गा गाथा ,कलयुग में है वड़ा महत्व
ऊना/सुशील पंडित:  रक्षा बंधन के साथ ही गुग्गा जाहिर बीर की मंडलियां छत्त लेकर नंगे पांव गांव गांव गुग्गा गाथा गाने निकल पड़ी है।  31 अगस्त को जिला के सभी धार्मिक स्थलों में छत्तों की पूजा करके डौहरू मंडलियां ने गुग्गा गाथा शुरू की। इसी कड़ी में गांव बदोली में प्रभु कृपा से सेवक राज कुमार शर्मा की अगुवाई में नाग देवता मंदिर से सुबह छत्त की पूजा करके व मंदिर में आरतीयों के पश्चात गुग्गा गुणगान के लिए डौहरू मंडली निकली। 

इतिहास के पन्नों को देखा जाए तो गुग्गा और सिद्ध के जो छत्र चढ़ते हैं जिन का मंडलियां गुणगान करती हैं यह बहुत पौराणिक कथाएं हैं। सतयुग से लेकर कलयुग तक इनका बहुत ज्यादा प्रभाव है। गुग्गा जाहिर बीर की हर वर्ग पूजा करता है और जब डौहरू मंडलियां घर घर छत्र लेकर पहुंचतीं है तो गांव वासी मंडलियों के साथ साथ छत्र की भी विशेष पूजा करते है।
पौराणिक कथा के अनुसार रक्षा बंधन दिवस पर गुग्गा जाहिर बीर अपनी बहन गुगली के पास राखी बंधवाने के लिए आते हैं और गुग्गा नवमी के दिन वापस जाते हैं इसलिए गुग्गा जाहरवीर का गुणगान मंडलीय आठ दिन तक करती हैं। गुग्गा गाने वाली मंडलियां आठों दिन नंगे पांव रहना व भूमि पर आसन और सादा भोजन करके नियमों का पालन करते है। कलयुग में गुग्गा जाहिर पीर व 9 नाथ 84 सिद्ध 52 बीरों के छत्र चढ़ाकर भक्त गांव गांव गुणगान करते है ओर इन सभी में गुग्गा जाहिर बीर को सबसे वड़ा माना गया है। जो जहर उतारने ओर मानव जीवन को खुशहाल बनाने का आशीर्वाद देते है।