पंजाबः विधानसभा में स्पीकर ने सुखपाल खेहरा को दी चेतावनी

पंजाबः विधानसभा में स्पीकर ने सुखपाल खेहरा को दी चेतावनी

चंडीगढ़ः पंजाब विधानसभा में आज शून्य काल में बोलने के लिए समय न देने को लेकर कांग्रेस के सुखपाल खेहरा काफी नाराज दिखे। स्पीकर कुलतार सिंह संधवा ने उन्हें बोलने का समय नहीं दिया तो उन्होंने अपनी सीट पर बैठे-बैठे उनके खिलाफ कई अपशब्द बोले, जिसका नोटिस लेते हुए स्पीकर ने कहा कि मुझे लगता है कि कान्वेंट में पढ़ने वालों को बेज्जती करने की ट्रेनिंग दी जा रही है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि आगे से किसी ने चेयर की मर्यादा के खिलाफ कुछ बोला तो वह सख्त एक्शन लेंगे। इस पर सुखपाल खेहरा ने कहा कि वह तुरंत एक्शन लें। दरअसल शून्य काल शुरू होते ही सुखपाल खेहरा बोलने के लिए समय मांग रहे थे लेकिन पहले स्पीकर और बाद में डिप्टी स्पीकर ने उनकी अवहेलना की और जिन लोगों ने समय नहीं मांगा था उनको भी बोलने का समय दिया।

यहां तक की विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा भी सुखपाल खेहरा के लिए समय मांगते रहे लेकिन उन्हें बोलने के लिए समय नहीं दिया गया। काबिले गौर है कि सुखपाल खेहरा लगातार आम आदमी पार्टी की लीडरशिप के खिलाफ बोलते रहे हैं। इससे पहले उन्होंने सुखपाल खेहरा को लेकर विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा को उन्हें डेकोरम सीखाने को भी कहा था। असल में प्रश्न काल के दौरान सुखपाल खेहरा और अवतार जूनियर आपस में बातें कर रहे थे। स्पीकर ने बाजवा से कहा कि अपने विधायकों से कहें कि वह हाउस की मर्यादा का ख्याल रखें। हालांकि कांग्रेस के विधायक अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग स्पीकर की इस टिप्पणी से नाराज दिखे और उन्होंने कहा कि आप मंत्रियों को बिना मतलब खुलकर बोलने का समय देते हैं जबकि हमें अनुपूरक सवालों पर भी बोलने नहीं देते।

उधर शून्य काल में भाजपा विधायक अश्विनी शर्मा ने मुद्दा उठाया कि पठानकोट दौरे के दौरान एक बुजुर्ग महिला ने मुख्यमंत्री को अपने काम बताए थे और मुख्यमंत्री ने पठानकोट के डीसी को आदेश दिया था कि उनके अगले दौरे तक इन्हें पूरा किया जाए लेकिन जब मुख्यमंत्री दुबारा पठानकोट गए तो उस बुजुर्ग महिला और उसके किड़नी से इलाज वाले पति को थाने में बंद कर दिया गया। विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने एमएसपी का मुद्दा उठाया और सरकार से मांग की कि उनकी मंत्री अनमोल गगन मान तो चुनाव से पहले सभी फसलों पर एमएसपी देने की बात कर रही थी, अब वह कहां हैं। यही नहीं, अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान ने भी बड़े बड़े वादे किए थे लेकिन इसी वादे को पूरा नहीं किया गया।