जालंधरः विवादों में घिरा Guru Nanak Public School, लगे गंभीर आरोप, देखें Live

जालंधरः विवादों में घिरा Guru Nanak Public School, लगे गंभीर आरोप, देखें Live

जालंधर, ENS: गुरु नानक पब्लिक स्कूल को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। जहां प्रिंसीपल पर गंभीर आरोप लगे है। दरअसल, टीचर ने स्कूल की प्रिंसीपल पर उसे निकालने के आरोप लगाए है। मामले की जानकारी देते हुए जसविंदर कौर ने कहा कि वह 22 साल से टीचर के पद पर सेवाएं निभा रही है। पीड़ित ने कहा कि आज तक उसके खिलाफ कोई भी शिकायत नहीं आई है। कोरोना काल में ऑनलाइन क्लासें लगाई गई, इस दौरान किसी भी अभिवावक की ओर से भी किसे तरह की कोई शिकायत नहीं आई है। पीड़िता का कहना है कि बच्चों को पढ़ाने के दौरान भी कोई शिकायत नहीं आई है, बल्कि तारीफ ही की गई है। 

पीड़िता ने आरोप लगाते हुए कहा कि अब जब से स्कूल में नई प्रिंसीपल परमप्रीत कौर आई है, उनके द्वारा टीचरों के परेशान करके निकाला जा रहा है। पीड़िता का आरोप है कि 20 से 22 सालों से काम कर रहे टीचरों को पिछले एक साल में 10 से 12 टीचरों को अवैध तरीके से निकाला गया है। इस दौरान पीड़ित का कहना है कि उसके द्वारा किसी भी तरह का इस्तीफा नहीं दिया गया है। पीड़िता ने कहा कि प्रिंसीपल द्वारा कहा गया है कि बच्चों के अभिवावकों की ओर से पढ़ाने को लेकर उनके खिलाफ शिकायत आई है।

पीड़िता ने कहा कि जब उन्होंने कहा कि इस शिकायत को लेकर उन्हें कोई सबूत दिया जाए। पीड़िता ने कहा कि स्कूल द्वारा मुझे किसी भी तरह का कोई सबूत नहीं दिया गया। लेकिन उन्हें 15 दिनों के लिए सस्पेंड कर दिया गया। पीड़ित ने कहा कि शो कॉज नोटिस जारी करने से पहले उन्होंने मैनेजमैंट को प्रिंसीपल के खिलाफ शिकायत दी थी। इस दौरान पीड़िता ने कहा कि शो कॉज नोटिस का जवाब भी उन्होंने अपने वकील के द्वारा दिलाया था लेकिन उसके बाद भी उसे बहाल नहीं किया गया।

जिसके बाद पीड़िता द्वारा डीईओ को मामले को लेकर शिकायत की गई। पीड़िता का कहना है कि इस मामले में कोई सुनवाई नहीं हुई। जिसके बाद उन्होंने इस मामले को लेकर शिक्षा मंत्री और सीएम भगवंत मान को शिकायत दी थी। पीड़िता का कहना है कि आज तक इस मामले को लेकर प्रिंसीपल के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई और ना ही इस मामले का अभी तक कोई हल निकला है। पीड़िता ने कहा कि इस मामले की जांच को लेकर सरकारी सीनियर सैकेंडरी स्कूल लंबा पिंड के प्रिंसीपल को अपाइंट किया गया था। लेकिन जब इस मामले को लेकर कोई कार्रवाई नहीं हुई तो पीड़िता ने आरटीए के जरिए पता लगा कि उसके फर्जी बयान टाइप करके दाखिल कर दिए गए। इस मामले को लेकर पीड़ित ने उचित कार्रवाई की मांग की है।