मेरे पोस्टर फाड़कर  या गुंडागर्दी करके कांग्रेस चुनाव नहीं जीत पायेगी:चैतन्य शर्मा

मेरे पोस्टर फाड़कर  या गुंडागर्दी करके कांग्रेस चुनाव नहीं जीत पायेगी:चैतन्य शर्मा
गगरेट की जनता उपचुनाव में हो रही गुंडागर्दी से परेशान, प्रशासन सुरक्षा प्रदान करे: चैतन्य शर्मा 

ऊना /सुशील पंडित : गगरेट विधानसभा उपचुनाव 01 जून को होना है लेकिन दिन प्रतिदिन बढ़ती सियासी गर्मी ने तो ज्येष्ठ माह की गर्मी को भी पछाड़  दिया है जिससे गगरेट की सीट होट सीट बनती जा रही है।उधर भाजपा प्रत्याशी  चैतन्य शर्मा ने गुरुवार को पिरथीपुर, रायपुर, ब्रह्मपुर, घनारी  हरवाल, चलेट इत्यादि गाँवों में जनसंपर्क अभियान चलाते हुए नुक्कड सभाएँ और कांग्रेस पर जमकर हमला बोला। विशेषकर वुधवार रात्रि ऊना से पक्के बिलों के साथ एसी एवं कूलर लेकर ऑटो रिक्शा में अपने घर जा रहे इकवाल सिंह की पिटाई विरोधी पक्ष के बाऊँसरों द्वारा किए जाने की कड़ी निंदा की और कहा कि गगरेट विधानसभा क्षेत्र के माहौल को कुछ लोग जानबूझकर खराब कर रहे है,ताकि लोगों में दहशत फ़ैल जाये और जनता भाजपा के पक्ष में वोट डालने के लिए बाहर न निकल पाएं।

चैतन्य शर्मा ने विरोधी पक्ष को चेताया कि विरोधी पक्ष चाहे जितने मर्जी उनके पोस्टर, बैनर फाड़ ले, उनके कार्यकर्ताओं को डरा धमका ले, भाजपा कार्यकर्ता के साथ साथ आम जनता भी उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है। चैतन्य शर्मा ने कहा कि विरोधी पक्ष कतई इस गलतफहमी में न रहे कि उन्हें बदनाम करके अथवा झूठा प्रचार करके उन्हें  हरा पाएंगे, जनता भाजपा के साथ है क्योंकि भाजपा विकास के साथ साथ देश धर्म की बात करती है। उधर दौलतपुर चौक के व्यापार मंडल प्रधान राजीव शर्मा ने भी आटोरिक्शा में पक्के बिल सहित सामान लेकर जा रहे व्यक्ति पर हमला करने की कड़ी निंदा की है और प्रशासन से इस बाबत कड़ा  संज्ञान लेने की बात कहीं है। उधर चैतन्य शर्मा ने मुख्यमंत्री पर भी हमला बोला और कहा कि जो मुख्यमंत्री अपने विधायको की बात ही नहीं सुनते, उस सरकार से जनता को क्या होगी आस हो सकती है? उन्होंने कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री 14 माह में जनता के साथ तो क्या अपने विधायको से मिलने का समय नहीं देते थे। लेकिन जब से राज्य सभा चुनाव में कांग्रेस की हार हुई है।

तव से मुख्यमंत्री महोदय को यह पता चला है कि सरकार वन मैन आर्मी बनकर नहीं बल्कि सभी को साथ लेकर चलती है। लेकिन अब समय बीत गया। अब तो 04 जून के वाद  मुख्यमंत्री के  नाम के आगे पूर्व मुख्यमंत्री  लगने वाला है।  मुख्यमंत्री पद की एक गरिमा होती है। लेकिन मुख्यमंत्री महोदय को कुर्सी के जाने का डर सता रहा है। और उसी डर की वजह से 6 उपचुनावों  की बात करते हुए  झूठ पर झूठ बोलते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि 14 माह के कार्यकाल में या तो मुख्यमंत्री उन्हें मिलने का समय नहीं देते थे और कभी मिलते भी तो विकास की बात को एक कान से सुनकर दूसरे कान से निकाल देते थे। इसी वजह से उन्होंने विद्रोह का बिगुल बजाया और अब  चार जून को हिमाचल में ऐसे  चुनाव परिणाम आएंगे जिससे  राज्य सरकार की विदाई निश्चित हो जाएगी और राज्य में  भाजपा सरकार बनने का रास्ता प्रशस्त होगा।