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कनाडा जाने वाले भारतीयों का सपना हो सकता चकनाचूर, जाने मामला

नई दिल्ली : कनाडा सरकार के एक फैसले से भारतीयों के कनाडा जाने के सपना चकनाचूर हो सकता है। दरअसल कनाडा इस समय आवास संकट से जूझ रहा है। यहां आबादी तो बहुत है लेकिन रहने के लिए घर कम हैं, जिसकी वजह से घरों की कीमतें काफी बढ़ गई हैं। कनाडा की सरकार बढ़ते आवास संकट से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या सीमित करने पर विचार कर रही है, जो प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो की नई कैबिनेट के मुख्य लक्ष्यों में से एक है। देश ने 8,00,000 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय छात्रों का स्वागत किया। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल 2022 में छात्रों को जारी किए गए 5,49,570 स्टडी परमिट में से 2,26,000 भारतीयों को दिए गए थे।
आवास, बुनियादी ढांचा और समुदाय मंत्री सीन फ्रेजर ने यह पूछे जाने पर कि क्या अंतर्राष्ट्रीय छात्रों पर कोई सीमा लगाई जा सकती है, पर कहा कि “मुझे लगता है कि यह उन विकल्पों में से एक है जिन पर हमें विचार करना है। फ्रेजर ने संवाददाताओं से कहा, “सरकार ने अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है।” मुझे लगता है कि हमें यहां कुछ गंभीरता से सोचने की जरूरत है। आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि दस वर्षों में विदेशी छात्रों की संख्या दोगुनी से भी अधिक हो गई है। कनाडा अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के लिए एक लोकप्रिय गंतव्य है क्योंकि वर्क परमिट प्राप्त करना अपेक्षाकृत आसान है। कई छात्र पैसे कमाने और बेहतर जीवन जीने के लिए पढ़ाई के बहाने कनाडा आते हैं।

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