पंजाब, जालंधरः सिविल सर्जन दफ्तर में करोड़ों के घोटाले मामले में सिविल सर्जन डॉ. ज्योति शर्मा ने पुलिस कमिश्नर को पत्र लिखकर दोषी अधिकारियों एवं कर्मचारियों के खिलाफ केस दर्ज करने के आदेश दिए है। सिविल सर्जन दफ्तर में 2019 से 2022 के दौरान लोकल लेवल पर की गई कथित पर्चेज की पेमेंट दो-तीन साल बाद भी जब सप्लायर्स को नहीं मिली तो उक्त मामला उच्चाधिकारियों के ध्यान में लाया गया।
Highlights:
- घोटाले का खुलासा: जालंधर के सिविल सर्जन डॉ. ज्योति शर्मा ने पुलिस कमिश्नर को पत्र लिखकर करोड़ों के घोटाले की जांच शुरू की।
- उच्च स्तरीय जांच: 2019 से 2022 के बीच लोकल लेवल पर की गई पर्चेज में टेंडर्स और सैंक्शन लेटर्स की कमी पाई गई।
- कानूनी कार्रवाई: डॉ. शर्मा ने नैशनल हेल्थ मिशन के डायरैक्टर के आदेश पर दोषी अधिकारियों के खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज करने की मांग की।
मामला जब चंडीगढ़ उच्चाधिकारियों के पास पहुंचा तो जांच शुरू हुई। उच्च स्तरीय जांच कमेटी की 28 मई 2024 को वित्त योजना भवन में हुई बैठक के दौरान तत्कालीन सिविल सर्जन डॉ. जगदीप चावला ने माना था की लोकल लेवल पर की गई पर्चेज संबंधी रिकॉर्ड में टेंडर्स, कोटेशनस एवं सैंक्शन लेटर्स इत्यादि नहीं है।
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उपरांत 30 अगस्त को डायरैक्टर एनएचएम पंजाब ने एक पत्र जारी करके सिविल सर्जन जालंधर निर्देश दिए थे कि मामले की जांच करके दोषी अधिकारियों के खिलाफ कानून के मुताबिक केस दर्ज करवाए जाए और इसकी पूरी रिपोर्ट 15 दिन के अंदर उनके पास जमा करवाए जाए। पता चला कि है कि इसी पत्र के अनुसार कार्रवाई करते हुए कार्यकारी सिविल सर्जन के कार्रवाई की है।
कार्यकारी सिविल सर्जन डॉ. ज्योति शर्मा ने कहा कि नैशनल हैल्थ मिशन के डायरैक्टर के आदेशों की पालना करते पुलिस कमिश्नर जालंधर को दोषी अधिकारियों एवं कर्मचारियों के पुलि खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज करने संबंधी पत्र लिखा गया और रिपोर्ट डायरैक्टर एन.एच.एम. को भेज दी है।