घायल की जान बचाने पर पुलिस कर्मी व पत्रकार एस.पी ने किए सम्मानित

घायल की जान बचाने पर पुलिस कर्मी व पत्रकार एस.पी ने किए सम्मानित

सिंसवा रोड पर बुजुर्ग की कार खाई में गिरी थी हुए थे घायल

बददी/सचिन बैंसल: बददी-सिंसवा रोड पर खाई में गिरकर घायल हुए एक बृद्व की जान बचाने पर पुलिस अधीक्षक बददी ने पुलिस कर्मी व एक मीडीया कर्मी को सम्मानित किया है। यह दोनो अपनी अपनी गाडियों में सवार होकर सिंसवा (पंजाब) रोड पर आ जा रहे थे। इसी दौरान 23 नवंबर को बददी के नैना अपार्टमेंट निवासी अनूप पाल (72) अपनी कार में सवार होकर  चंडीगढ से बददी आ रहे थे और उनका गाडी पर नियंत्रण खो गया तथा उनकी कार खाई में गिर पडी। टपरियां गांव जो कि हरियाणा में पडता है में हुए इस हादसे को बददी पुलिस कर्मी रेखा राणा मूल निवासी गांव संघनई , तहसील घनारी उपमंडल गगरेट जिला ऊना तथा बददी निवासी मीडीया कर्मी सचिन बैंसल वार्ड 2 बददी ने देखा। दोनो ने बुजुर्ग को कार से निकाला और सीट बैल्ट खोलकर प्राथमिक उपचार दिया तथा अस्पताल पहुंचाने में मदद की। सचिन पेशे से फार्मासिस्ट है और बददी शहर में लक्ष्मी मैडीकल स्टोर के नाम से दुकान चलाते हैं। यह मामला सुर्खियों में आने के बाद आज एस.पी बददी मोहित चावला ने रेखा राणा (पुलिस कर्मी) और सचिन बैंसल (मीडीया कर्मी) को अपने कार्यालय में प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।

लोग घायलों की मदद करें घवराएं नहीं: चावला

दोनो कर्मियों को सम्मानित करने के बाद एसपी मोहित चावला ने कहा कि किसी भी हादसे में घायल लोगों को तुरंत निकटवर्ती अस्पताल में पहुंचाए और आपसे किसी भी प्रकार की पूछताछ नहीं होगी बल्कि आपको सम्मानित किया जाएगा। उन्होने कहा कि रेखा राणा व सचिन बैंसल ने मानवता को बचाने के लिए एक ऐसा कार्य किया है जो और लोगों को भी प्रेरणा देगा इसलिए विभाग इनको सम्मानित कर रहा है। यह पत्र ट्रांसपोर्ट विभाग को भी दिया जाएगा ताकि वो भी इनको सम्मानित करे।

आंख लग गई थी पर देवदूतों ने बचाया: अनूप पाल

इस हादसे में उस दिन कार चला रहे अनूप पाल ने कहा कि ड्राईविंग करते हुए उनकी आंख लग गई थी । उन्होने कहा कि रेखा राणा व सचिन बैंसल उनके जीवन में देवदूत बनकर आए जिन्होने उनको खाई से निकाला और नया जीवन दिया। मेरे लिए यह दोनो प्राणी किसी देवदूत से कम नहीं है। उन्होनेक कहा कि हमें हर छोटे बडे उस व्यक्ति से प्रेरणा लेनी चाहिए जो कि कहीं न कहीं मानवता की सेवा में जुटे हैं। ऐसे लोग समाज में बहुत कम है जो घायलों को अस्पताल पहुंचाते हैं।