अब दिल्ली कूच के लिए किसान संगठन लेंगे गाय का सहारा

अब दिल्ली कूच के लिए किसान संगठन लेंगे गाय का सहारा

पटियालाः पिछले 16 दिनों से हरियाणा की सीमाओं पर जुटे पंजाब के किसान संगठनों ने दिल्ली कूच को लेकर नई रणनीति बनानी शुरू कर दी है। हरियाणा पुलिस के आंसू गैस के गोले दागने से बचने के लिए गायों को ढाल बनाने की तैयारी है। इसके लिए हरियाणा सीमा में प्रवेश के समय हर किसान अपने गोधन को आगे लेकर चलेगा। इससे पता चल जाएगा कि खुद को गोरक्षक कहलाने वाली हरियाणा की भाजपा सरकार क्या इन गोधन को भी रोकने के लिए उन पर गोलियां चलाती है कि नहीं। संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) के सिद्धूपुर गुट का दिल्ली कूच कार्यक्रम टालने का वीरवार को अंतिम दिन है।

वहीं दूसरी ओर हिंसा और अराजकता फैलाने वाले किसानों के खिलाफ हरियाणा पुलिस सख्त कार्रवाई करने जा रही है। पुलिस ने उन तमाम किसानों के पासपोर्ट जब्त और वीजा कैंसिल करने का फैसला किया है जिन्होंने किसान आंदोलन में उपद्रव मचाया। मामले पर जानकारी देते हुए अंबाला के डीएसपी जोगिंदर शर्मा ने कहा कि पुलिस ने उन लोगों की पहचान कर ली है जो किसान आंदोलन के नाम पर पंजाब से हरियाणा में आए और हिंसा फैलाई। बुधवार को सिद्धूपुर गुट और किसान मजदूर संघर्ष मोर्चा के नेताओं की बैठक में आगे की रणनीति पर चर्चा हुई। किसान नेता अपनी रणनीति पर अभी कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं।

सूत्रों के मुताबिक, उनका मानना है कि एक बार हरियाणा में प्रवेश करने के बाद दिल्ली जाना उनके लिए मुश्किल नहीं होगा। उगराहां भाकियू (एकता उगराहां) के पंजाब अध्यक्ष जोगिंदर सिंह उगराहां ने आरोप लगाया कि किसान मजदूर संघर्ष मोर्चा के महासचिव सरवन सिंह पंधेर ने किसानों के संघर्ष में विघ्न डालने की कोशिश की है। उगराहां ने कहा कि राष्ट्रीय संयुक्त किसान मोर्चे ने संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) और किसान मजदूर संघर्ष कमेटी से तालमेल के लिए छह सदस्यी कमेटी का गठन किया।

कमेटी में सरवन सिंह पंधेर, सतनाम सिंह साहनी, मांगट यूपी, काका सिंह कोटड़ा, सुरजीत सिंह फूल व सुखविंदर कौर को संघर्ष की संयुक्त योजना बनाने को कहा था, लेकिन पंधेर, सतनाम सिंह व मनजीत राय ने 27 फरवरी को प्रेस कान्फ्रेंस करके उनके संगठन सहित संयुक्त किसान मोर्चे के नेताओं के खिलाफ बेबुनियाद प्रचार किया। उन पर मोर्चे में शामिल होने के लिए दबाव बनाया गया। उधर, संगरूर के खनौरी में 21 फरवरी को मारे गए बठिंडा के युवा किसान शुभकरण के शव का आठवें दिन भी पोस्टमॉर्टम नहीं हो सका। पटियाला के राजिंदरा अस्पताल में किसान नेता डेरा जमाए बैठे हैं, ताकि पुलिस जबरन पोस्टमॉर्टम न करा सके। किसान संगठन इस मामले में हरियाणा सरकार के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग पर अड़े हुए हैं। इसको लेकर किसान बठिंडा में बठिंडा-चंडीगढ़ नेशनल हाईवे पर सोमवार से धरना दे रहे हैं।