जानिए कैसे शुरू हुई थी करवा चौथ का व्रत रखने की परंपरा

जानिए कैसे शुरू हुई थी करवा चौथ का व्रत रखने की परंपरा

नई दिल्ली : करवा चौथ का हिंदू धर्म में काफी महत्व है। महिलाएं पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य की कामना के साथ इस दिन निर्जला व्रत रखती हैं जिससे उन्हें अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है व्रत रखने की ये परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है करवा चौथ का व्रत हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है. इस साल ये तिथि एक नवंबर को पड़ रही है। कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 31 अक्टूबर को रात 9 बजकर 30 मिनट पर शुरू होगी और एक नवंबर को रात 9 बजकर 19 मिनट पर खत्म होगी। ऐसे में करवा चौथ का व्रत एक नवंबर को रखा जाएगा। सालों से सुहागिन महिलाएं करवा चौथ का व्रत रखती आ रही है।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये परंपरा कब से और कैसे शुरू हुई? आइए जानते हैं सबसे पहले किसने रखा था करवा चौथ का व्रत। मान्यताओं के मुताबिक सबसे पहले करवा चौथ का व्रत माता पार्वती ने भगवान शंकर के लिए रखा था। तभी से इस व्रत को रखने की परंपरा चली आ रही है। हालांकि कहा ये भी जाता था कि एक बार ब्रह्मदेव ने सभी देवियों को अपने पतियों के लिए करवा चौथ का व्रत रखने के लिए कहा था जिसके बाद से ये परंपरा शुरू हुई। इससे जुड़ी पौराणिक कथा भी प्रचलित है। वहीं महाभारत में भी करवा चौथ से जुड़ी कथा का वर्णन मिलता है।

कहा जाता है कि द्रौपदी ने भी पांडवों की रक्षा के लिए इस व्रत को रखा था। उन्हें ये व्रत रखने की सलाह श्री कृष्ण ने दी थी। पौराणिक कथा के मुताबिक जब देवताओं और राक्षसों के बीच भीषण युद्ध छिड़ गया और पूरी ताकत लगा देने के बावजूद जब देवताओं को हार का सामना करना पड़ रहा था तब ब्रह्मदेव ने देवियों से अपने पति की रक्षा के लिए कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का व्रत रखने के लिए कहा था। माना जाता है कि इस व्रत के प्रभाव से ही देवता असुरों पर विजय प्राप्त कर सके थे। इस खबर को सुनकर देवियां काफी प्रसन्न हुई और उन्होंने अपना व्रत खोला। तभी से पतियों की सलामती के लिए इस व्रत को रखा जाने लगा।