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जालंधरः विजिलेंस ने MVI में नरेश कलेर और प्राईवेट एजेंट को लाखों रुपए के साथ किया गिरफ़्तार 

जालंधर, (वरुण/हर्ष) : महानगर के बस स्टैंड के पास मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर के दफ्तर पर विजिलेंस ने दबिश दी थी। एसएससी विजीलेंस दलजिंदर सिंह ढिल्लों भी मौके पर पहुंचकर तीन लोगों को राउंडअप कर दफ्तर में ही पूछताछ की। दरअसल, मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर ( एमवीआई) नरेश कलेर, एक प्राईवेट एजेंट रामपाल उर्फ राधे और मोहन लाल को काबू किया गया। वाहनों के लिए फिटनेस सर्टिफिकेट जारी करने के शक्की दस्तावेज़ों के अलावा 12.50 लाख रुपए बरामद किए गए।

7 जिलों में आरटीए दफ़्तरों की औचक चैकिंग

मामले की जानकारी देते हुए विजिलेंस ब्यूरो के प्रवक्ता ने बताया कि कुछ क्षेत्रीय ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी (आरटीए) दफ्तरों में अनियमितताएं और भ्रष्टाचार सम्बन्धी शिकायतें मिलने के बाद राज्य में 7 जिलों में से अमृतसर, गुरदासपुर, फ़िरोज़पुर, फरीदकोट, मानसा, जालंधर और होशियारपुर के एमवीआई दफ्तरों की औचक चैकिंग की गई। विजीलैंस ब्यूरो की टीमों से तरफ से एमवीआई और सम्बन्धित आरटीए दफ्तरों से वाहनों को फिटनेस सर्टिफिकेट जारी करने के शक्की रिकार्डों को ज़ब्त किया गया। उन्होंने बताया कि इससे पहले विजीलैंस ब्यूरो ने आरटीए दफ्तर संगरूर में वाहन फिटनेस सर्टिफिकेट घोटाले का पर्दाफाश किया था। जिसमें दो अधिकारियों और एक एजेंट को गिरफ़्तार किया गया था। इस मामले में आरटीए, एमवीआई, क्लर्कों और प्राईवेट एजेंटों के विरुद्ध विजीलैंस ब्यूरो के थाना पटियाला में एफआईआर दर्ज की गई है।

नरेश कलेर और एक प्राईवेट एजेंट रामपाल उर्फ राधे काबू

प्रवक्ता ने बताया कि वहीं बीते दिन जालंधर के एमवीआई दफ्तर में नरेश कलेर और एक प्राईवेट एजेंट रामपाल उर्फ राधे काबू किया। विजीलैंस की तरफ से पूछताछ के दौरान उसके पास से 12.50 लाख रुपए रिश्वत की रकम बरामद की गई। विजीलैंस ब्यूरो के थाना जालंधर में एफआईआर नंबर 14, तिथि 23-08 2022 को आईपीसीकी धारा 120 बी और 420 और भ्रष्टाचार रोकथाम कानून की धारा 7 और 7 ए के अधीन नरेश कलेर, एमवीआई जालंधर और उसके दफ़्तर से काम कर रहे 10 प्राईवेट एजेंटों के विरुद्ध मामला दर्ज किया गया है।

कोई भी दोषी पाया गया तो की जाएगी सख़्त कार्यवाही 

प्रवक्ता ने बताया कहा कि इस मामले में एमवीआई कलेर और एजेंट रामपाल उर्फ राधे को भी गिरफ़्तार किया है। उन्होंने बताया कि परिवहन विभाग के नियमों अनुसार सभी व्यापारिक वाहनों को सड़कों पर चलने के लिए आरटीए दफ़्तर से फिटनेस सर्टिफिकेट लेना पड़ता है और ऐसे सभी वाहनों का दस्तावेज़ों समेत एमवीआई द्वारा उनके दफ़्तर में ख़ुद निरीक्षण करना ज़रूरी है। उन्होंने बताया कि यह बात सामने आई है कि अलग-अलग जिलों में अधिकारी एजेंटों और मध्यस्थों की मिलीभुगत के साथ वाहनों के माडल के आधार पर प्रति वाहन भारी रिश्वत के बदले वाहनों की फिजिकल वैरीफिकेशन किये बिना फिटनेस सर्टिफिकेट जारी कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इन राज्य स्तरीय निरीक्षणों की आगे जांच जारी है और यदि कोई भी दोषी पाया गया तो कानून अनुसार सख़्त कार्यवाही की जाएगी।

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