जालंधरः नकोदर बेअदबी मामले में पंजाब सरकार को हाईकोर्ट ने जारी किया नोटिस 

जालंधरः नकोदर बेअदबी मामले में पंजाब सरकार को हाईकोर्ट ने जारी किया नोटिस 
जालंधरः नकोदर बेअदबी मामले में पंजाब सरकार को हाईकोर्ट ने जारी किया नोटिस 

जालंधर/वरुणः पंजाब सरकार को हाईकोर्ट ने 1986 में नकोदर में हुई बेअदबी के मामले में नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। दरअसल, इस दौरान प्रदर्शनकारियों पर पुलिस फायरिंग में चार युवकों की मौत हो गई थी। इस मामले में रिटायर्ड जस्टिस गुरनाम सिंह आयोग की जांच रिपोर्ट का दूसरा भाग गायब होने का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है। याचिका में दूसरे भाग की तलाश के लिए एसआईटी गठित करने की मांग की गई है। याचिका पर हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब कर लिया है। 

32 साल पुराने मामले की बलदेव सिंह ने की SBI या SIT से जांच की मांग

जालंधर के बलदेव सिंह ने एडवोकेट एचसी अरोड़ा के माध्यम से 32 साल पुराने इस मामले की सीबीआई या एसआईटी से जांच की मांग और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। तत्कालीन डीएम दरबारा सिंह गुरु, एसएसपी मोहम्मद इजहार आलम और एसपी ऑपरेशंस अश्वनी कुमार शर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच की मांग की गई थी।

हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने का दिया आदेश 

हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई के दौरान रिटायर जस्टिस गुरनाम सिंह की जांच रिपोर्ट सौंपने का पंजाब सरकार को आदेश दिया था। पंजाब सरकार ने तब बताया था कि रिपोर्ट का दूसरा भाग गायब है। हाईकोर्ट ने पूछा था कि जो रिपोर्ट विधानसभा में पेश की गई है, वह कैसे गायब हो सकती है। अब इस मामले में एक और याचिका दाखिल करते हुए गायब रिपोर्ट के दूसरे हिस्से के मामले में एसआईटी गठित करने की मांग की गई है। याचिका पर हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।

यह था मामला

नकोदर में गुरुद्वारे में 2 फरवरी 1986 को श्री गुरुग्रंथ साहिब के 4 पावन स्वरूप जलाने की घटना सामने आने के बाद 4 फरवरी को रोष मार्च निकाला गया था। पुलिस ने लोगों को काबू करने के लिए गोली चला दी और इसमें 4 लोगों की मौत हो गई। इस मामले में बिना मृतकों के परिजनों को जानकारी दिए चारों का पोस्टमार्टम के बाद अंतिम संस्कार करवा दिया गया और अस्थियां परिजनों को सौंपने का प्रयास किया गया। इस मामले में जस्टिस गुरनाम सिंह की अध्यक्षता में जांच आयोग गठित किया गया, जिसकी रिपोर्ट 2001 में विधानसभा में पेश की गई। इसी रिपोर्ट का भाग दो गायब है, जिसकी खोज के लिए एसआईटी गठित करने की मांग की गई है।