गबन- विजिलेंस ने नंगल सलांगड़ी सहकारी सभा के 5 सदस्यों पर दर्ज किया मामला

गबन- विजिलेंस ने नंगल सलांगड़ी सहकारी सभा के 5 सदस्यों पर दर्ज किया मामला
ऊना/सुशील पंडित: देर से ही सही लेकिन अब नंगल सलांगड़ी और धमांदरी इलाके के लोगों को उनका लूटा गया पैसा मिलने की आस बंधी है।  हिमाचल प्रदेश के जिला ऊना में बहुचर्चित नंगलसलांगडी कृषि सेवा सहकारी सभा समिति में हुए करोड़ों रुपए के गबन की जांच विजिलेंस विभाग ने शुरू कर दी है। विजिलेंस ब्यूरो द्वारा जारी प्रेस नोट के मुताबिक सभा से जुड़़े पांच लोगों को मामले में आरोपी बनाया गया है ।
इन आरोपियों में सभा के सचिव धीरज कुमार, प्रबंधक कमेटी के प्रधान रघुवीर सिंह, उपप्रधान इकबाल सिंह, कोषाध्यक्ष योगराज व शशिपाल शामिल हैं। आरोपियों को किसी भी समय गिरफ्तार किया जा सकता है। इस मामले में सहकारी सभाओं पर निगरानी रखने वाली संस्था सहायक पंजीयक के खिलाफ कई शिकायतें दर्ज करवाई लेकिन राजनीतिक संरक्षण के चलते आरोपियों पर कभी कोई कार्रवाई नहीं हो पाई। 
खाताधारकों को एक संघर्ष कमेटी बनानी पड़ी और संघर्ष कमेटी ने मिलकर ग्रामीणों को न्याय दिलाने का काम अपने हाथ में लिया। संघर्ष कमेटी ने सहायक पंजीयक विभाग के पास शिकायत दर्ज करवाई तब जाकर धीरज कुमार और सभा के पदाधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच शुरू हो पाई। । जांच के परिणामस्वरूप सभा के सचिव धीरज कुमार को बर्खास्त किया जा सका। हालांकि यह गबन बहुत बड़ा है लेकिन फिलहाल 74 लाख रुपए के गबन के दस्तावेजों के आधार पर जांच चल रही है। 
ज्ञात रहे कि सहकारी सभाओं में ग्रामीणों की छोटी छोटी जमापूंजी से लेकर एनआरआई, कारोबारियों और सेवानिवृत हुए सरकारी कर्मचारियों की भारी रकम जमा होती है। सहकारी सभाओं में आमतौर पर आस पास के गांवों का पैसा ही जमा होता है। यह सभाएं बैंक की भांति ही लोगों को ऋण और अन्य वित्तिय सेवाएं उपलब्ध करवातीं हैं। भोले भाले लोग सभा के पदाधिकारियों पर विश्वास करके अपनी जमापूंजी उनके हवाले कर देते हैं। 
सभाओं में लोग एक दूसरे पर विश्वास करके अपना पैसा जमा करवाते हैं लेकिन नंगल सलांगड़ी के केस में उस विश्वास को तोड़ा गया और लोगों का पैसा चंद लोगों ने नियमों को ताक पर रखकर इस्तेमाल कर लिया। जब लोग अपना पैसा निकलवाने के लिेए सचिव के पास जाने लगे तो सचिव ने आनाकानी करनी शुरू कर दी। जब एक से अधिक लोग अपना पैसा नहीं निकलवा पाए तब सभा के बाहर भीड़ जुटने लगी। तब जाकर पता चला कि उनका पैसा तो सभा के सदस्य निकलवा चुके हैं। 
आरोपों की शुरूआती जांच में पता चला कि सभा के सचिव धीरज कुमार ने सभा की प्रबंधक कमेटी के प्रधान रघुवीर सिंह, उप प्रधान इकबाल सिंह, कोषाध्यक्ष योगराज और शशि पाल की मिलीभगत से जाली दस्तावेज तैयार किए और सदस्यों के नाम पर फर्जी ऋण दिखा कर जमा पूंजी का गबन कर दिया। ऑडिट में इस बात का खुलासा हुआ था कि मामले में कई व्यक्तियों के ऋणों को नियमानुसार नहीं दिया गया है। कई खाताधारकों ने तो अपना ऋण भी जमा करवा दिया था लेकिन खातों में कर्ज जस का तस पाया गया। कुछ के फिक्सड डिपोजिट (एफडी) भी सभा के सदस्यों ने निकलवा लिए जबकि एफडी के असली कागजात अभी भी खाताधारकों के पास हैं। 
यह सारा गबन सहायक पंजीयक दफ्तर के अधिकारियों की नाक तले होता गया। जब दबाव बढ़ा तब जाकर अधिकारियों ने ऑडिट में माना कि घपला हुआ है। 
इस मामले में यह भी सामने आया है कि आंकड़ों में छेड़छाड़ करके 5 आरोपियों ने मिलकर सीधे सीधे लगभग 74 लाख रुपए से अधिक के गबन को अंजाम दिया है। सभा का कुल गबन करोड़ों रुपए में है जिसकी पर्तें आने वाले दिनों में खुल सकती हैं। मगर बड़ा सवाल यह है कि सहायीक पंजीयक के होते हुए ऊना की अलग अलग सभाओं में करोड़ों रुपए के गबन कैसे हो गए। मामले की जानकारी देते हुए एएसपी विजिलेंस धर्मचंद वर्मा ने बताया कि नंगल सलांगड़ी कृषि सहकारी सभा के पांचों सदस्यों के खिलाफ विजिलेंस ने आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड ,संहिता की धारा 406, 409, 467, 468, 471, 120बी और एचपीपीएससीपी एक्ट 1983 की धारा 28 के अधीन केस दर्ज करते हुए आगामी कार्रवाई अमल में लाई जा रही है।