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10 घंटे में तीसरी बार भूकंप के लगे तेज झटके, 100 सालों की सबसे बड़ी आपदा!

तुर्की में सोमवार को तीसरी बार भूंकप के झटके महसूस किए गए। इस बार भूकंप की रिक्टर पैमाने  पर तीव्रता 6 मापी गई है। ये झटके पांच बजकर 32 मिनट पर महसूस किए गए इससे पहले भारतीय समयानुसार तीन बजकर 54 मिनट पर भी भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए थे। जिसकी रिक्टर पैमाने पर तीव्रता 7.5 मापी गई। तुर्की और सीरिया में अब तक भूकंप से 1500 से अधिक लोगों की मौत हो गई है। उसका केंद्र अंकारा से 427 किलोमीटर दूर जमीन से 10 किमी. अंदर था। प्रारंभिक भूकंप के बाद 50 से अधिक आफ्टरशॉक्स आए, जिसमें 7.5-तीव्रता का झटका भी शामिल है। 

वहीं, तुर्की की एक समाचार एजेंसी ने देश की आपदा एजेंसी का हवाला देते हुए रिपोर्ट दी कि दक्षिणी तुर्की में कहारनमारास प्रांत के एलबिस्तान जिले में 7.6 तीव्रता का एक और ताजा भूकंप आया है। इसका असर सीरिया के दमिश्क, लताकिया अन्य सीरियाई प्रांतों में भी महसूस किया गया। 

1960 में इतिहास में सबसे बड़े भूकंपों में चिली में किया गया था दर्ज 

साल 1952 में रूस में कामचटका प्रायद्वीप के पास 9.0 तीव्रता का भूकंप आया था। इसमें 2,000 से अधिक लोग मारे गए थे। यह भूंकप एक बड़ी सुनामी का कारण बना. इसकी लहरें पेरू, चिली और न्यूजीलैंड तक पहुंच गई थी। लेकिन सबसे ज्यादा नुकसान हवाई द्वीपों में हुआ। हाल के इतिहास में सबसे बड़े भूकंपों में से एक मई 1960 में बायो-बायो, चिली में दर्ज किया गया था। 9.4 और 9.6 की तीव्रता वाले इस भूकंप ने लगभग 10 मिनट तक जमीन को हिलाया था। इस भूकंप ने लगभग 6000 लोगों की जान ली थी। इसे अब तक दर्ज किया गया सबसे अधिक तीव्रता वाला भूकंप माना जाता है।

इस भूकंप से लगभग 300 करोड़ यूएस डॉलर से लेकर 700 करोड़ यूएस डॉलर का नुकसान हुआ था। इसके बाद भूकंप 1964 में गुड फ्राइडे के दिन आया था। ग्रेट अलास्कन भूकंप की तीव्रता 9.2 थी और यह 5 मिनट से थोड़ा कम समय तक चला और इसे उत्तरी अमेरिका में दर्ज अब तक का सबसे शक्तिशाली भूकंप माना जाता है। झटके से केवल नौ लोगों की मौत हुई, लेकिन दुनिया भर में इसके परिणामस्वरूप आई सुनामी में 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। भूकंप से सुनामी की लहरें अंटार्कटिका तक पहुंच गई थीं और पेरू, मेक्सिको, जापान और न्यूजीलैंड के साथ-साथ अन्य तटीय क्षेत्रों में भी देखी गई थी।

एनडीआरएफ और मेडिकल टीम भेजी जाएंगी तुर्की 

प्रधानमंत्री मोदी के निर्देश पर तुर्की को तत्काल सहायता देने के मुद्दे पर प्रधानमंत्री के मुख्य सचिव पीके मिश्रा ने अहम बैठक बुलाई। बैठक में तय हुआ है कि सर्च और रेस्क्यू अभियान के लिए एनडीआरएफ और मेडिकल टीम तुर्की भेजी जाएंगी। इसके साथ राहत सामग्री भी जल्द से जल्द टुर्की के लिए रवाना की जाएगी। एनडीआरएफ की दो टीमों में 100 जवान होंगे। इनमें डॉग स्क्वायड भी शामिल हैं। इसके अलावा ये टीमें जरूरी उपकरण भी अपने साथ ले जाएंगी। मेडिकल टीम में डॉक्टर, अन्य स्टाफ और जरूरी दवाएं होंगी।

तुर्की में 1999 में आए भूकंप में 18000 लोगों की हुई थी मौत

तुर्की की भौगोलिक स्थिति के चलते यहां अक्सर भूकंप आते रहते हैं। यहां 1999 में आए भूकंप में 18000 लोगों की मौत हो गई थी। अक्टूबर 2011 में आए भूकंप में 600 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। तुर्की में आज आए भूकंप की बराबर तीव्रात का भूकंप इससे पहले 1939 में आया था। उसमें 32,700 से ज्यादा लोग मारे गए थे।

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