
लक स्टोन वेलफेयर फाउंडेशन शहीदों को देगा श्रद्धांजलि
हमले की डरावनी यादें आज भी लोगों के जहन में ताजा है.नरेश पंडित
कपूरथला (चंद्रशेखर कालिया)। 26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकी हमले की यादें 12 सालों बाद भी ताजा है।हमले की डरावनी यादें आज भी लोगों के जहन में ताजा है।इस आतंकी हमले के वक्त मुंबई ही नहीं पूरा देश दहशत में आ गया था।इस दौरान 10 आतंकियों ने करीब 60 घंटे तक मुंबई में खूनी खेल खेलते हुए 166 निर्दोष लोगों की जान ले ली थी और सैकड़ों को घायल कर दिया था।गुरुवार को 26/11 हमले की 12वीं बरसी पर हमले में मारे गए 166 लोगों को श्रद्धांजलि दी जाएगी।इस हमले में शहीद हुए जवानों को भी श्रद्धांजलि दी जाएगी।
लक स्टोन वेलफेयर फाउंडेशन के अधक्ष्य दिव्यांशु भोला ने बताया कि 26 नवंबर दिन गुरुवार को हमले की 12वीं बरसी पर लक स्टोन वेलफेयर फाउंडेशन, आरएसएस, विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल, शिव सेना हिन्द युथ विंग, अकाली दल, भाजपा एवं शहर कि सभीधार्मिक, सामाजिक, संस्थाओ के लोगो द्वारा 26 नवंबर दिन गुरुवार सुबहे 10 बजे मंदिर धर्म सभा में मुंबई हमले में मारे गए 166 लोगों और शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि दी जाएगी। विश्व हिन्दू परिषद जालंधर विभाग के अधक्ष्य नरेश पंडित ने कहा कि हमारे देश में अलग-अलग दौर में राजनेताओं ने अपने फायदे के लिए आतंकवाद को धर्म से जोड़ा है और वोटों की फसल काटी है।
इसी का नतीजा है कि हिन्दू आतंकवाद जैसे शब्दों की रचना हुई और तमाम बुद्धीजीवी इन शब्दों का इस्तेमाल अपनी-अपनी श्रद्धा और राजनीतिक एजेंडे के तहत करते रहे। उन्होंने कहा कि घरेलू राजनीति का फायदा उठाने के लिए हमारे ही देश के नेताओं ने एक शब्द की खोज की थी। वो था हिन्दू आतंकवाद। आपको याद होगा एक जमाना था जब हिन्दू आतंकवाद को लेकर देश में चर्चा जोरों पर थी और पाकिस्तान को ये बात समझ आ गई थी कि भारत बंटा हुआ है और भारत के अपने ही लोग एकजुट नहीं हैं। आईएसआई और आतंकवादी संगठनों ने इसका पूरा फायदा उठाने की कोशिश की और अजमल कसाब को हिन्दू बनाकर मुंबई की सड़कों पर खून बहाने के लिए उतार दिया।
उसके हाथ में एक लाल धागा बांधा गया और उसे एक हिन्दू नाम दिया गया। समीर चौधरी जैसा हिन्दू नाम आईएसआई ने उसे दे दिया ताकि जब कसाब मरे तो लोगों को ये लगे कि वो एक हिन्दू आतंकवादी है।पाकिस्तान ये चाहता था कि लोगों को ये लगे कि ये हिन्दू हैं और अपने ही देश की सरकार के खिलाफ खड़े हुए हैं।उन्होंने कहा कि हमारे देश-दुनिया में कई कहावतें हैं जैसे पीठ में छुरा घोंपना, विभीषण होना, जयचंद होना, मान सिंह होना और मीर जाफर होना। इन सारी कहावतों का जो व्यापकता में अर्थ निकल कर आता है उसमें यह बात साफ़ तौर पर निकल कर बाहर आती है कि इन्हें धोखेबाजी के पर्याय के तौर पर जाना जाता है।ऐसे ही लोगों की वजह से हम पहले मुगलों से हारे और ऐसे ही लोगों की वजह से हम अंग्रेजों के गुलाम बन गए।वर्तमान में भी हम अपने ही देश के कुछ ऐसे ही लोगों से दो-चार होते रहते हैं।हम अक्सर कहते है कि आतंकवादियों का कोई धर्म नहीं होता क्योंकि कोई भी धर्म हिंसा के रास्ते पर चलना नहीं सिखाता।
लेकिन जरा एक पल के लिए ये सोचिए की 26/11 के दिन मुंबई पर हमला करने वाले आतंकवादियों में अजमल कसाब की जगह कोई समीर दिनेश चौधरी शामिल होता तो क्या तब भी हमारे देश के बुदि्धिजीवी और कुछ राजनेता यही कहते कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं है और ये हिन्दू धर्म को बदनाम करने की साजिश है।ठीक वैसा ही सच भी है।इसके बाद कहा जाता कि भगवा आतंकवाद के नाम पर लोगों का खून बहाया जा रहा है।इसके पीछे आरएसएस है।
कुछ विदेशों से पोषित पत्रकार और समाजिक कार्यकर्ता इस थ्योरी को सच साबित करने के लिए समीर चौधरी का घर और पता ठिकाना ढूढ़ंने में लग जाते। पाकिस्तान से आया अजमल कसाब अगर जिंदा नहीं पकड़ा गया होता तो उसे समीर चौधरी ही साबित कर दिया जाता। इस अवसर पर आरएसएस के वरिष्ठ नेता सुभाष मकरंदी,भाजपा प्रदेश कार्यकारणी के सदस्य उमेश शारदा,भाजपा प्रदेश कार्यकारणी के सदस्य मनु धीर, विहिप के वरिष्ठ नेता मंगत राम भोला, शिव सेना हिन्द युथ विंग के जिला अधक्ष्य साहिल तलवाड़, राजन तलवाड़ आदि उपस्थित थे।