
जालंधर कैंट (गुलाटी)। कैंट को नो-कैंटल जोन घोषित किए जाने के बावजूद भी तोपखाना में डेयरियां धड़ल्ले से चल रही है, लेकिन तोपखाना में डेयरियों को न हटवा पाने में प्रशासन की ऐसी कौन से मजबूरी है जिसके कारण वह इन डेयरी वालों के आगे घुटने टेक बैठा हुआ है। ऐसा नहीं कि बोर्ड प्रशासन इस बात से अंजान है बल्कि इस से संबंधित विभाग के सभी अधिकारी भलीभांती जानते है कि तोपखाना में करीब 4 से 5 डेयरियों में 100 के करीब पशु रखे हुए है और उनको सुबह बाहर चरहाने के लिए बीच सड़क में से सरेआम ले जाया जाता है जो आए दिन हादसों का कारण बनते है। पिछले सप्ताह भी इन पशुयों के सड़क के बीच चलने से तीन वाहन चालक हादसे का शिकार हो गये थे। गौरतालब है कि वर्ष 1995 में कैंट बोर्ड प्रशासन ने कैंट को नौ-कैंटल जोन घोषित किया गया था और तब से लेकर अब तक कैंट बोर्ड प्रशासन अपने बनाये नियम को लागू करवाने में असफल साबित हो पा रहा है। लोगों का कहना है कि अगर कैंट बोर्ड प्रशासन अपने ही बनाये नियम को लागू करवाने से असर्मथ है तो उस नियम को रद्द कर दे।